दुनिया से शायद कभी ना जाए कोरोना वायरस, बन सकती है स्थानिक बीमारी, इसके क्या मायने?

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दुनिया से शायद कभी ना जाए कोरोना, बन सकती है स्थानिक बीमारी epidemic

सकती है यानि ऐसा भी हो सकता है कि यह बीमारी कभी दुनिया से जाए ही ना। उन्होंने दुनिया से अपील की कि संक्रमण को रोकने के लिए और सख्ती से नियमों का पालन करना होगा।

जब किसी बीमारी के मामलों में तेजी होती है तो उसे एपिडेमिक यानि कि संक्रामक रोग की श्रेणी में रखा जाता है लेकिन जब एपिडेमिक दुनिया के कई देशों और इलाकों में फैल जाता है तो इसे महामारी का रूप दे दिया जाता है। इसका मतलब यह है कि किसी बीमारी से लड़ने के लिए आम जनता खुद से जोखिम का प्रबंध कर उसे नियंत्रण करने के रास्ते ढुंढती है जबकि वायरस को रोकने के लिए सरकारी तंत्र जो काम कर रहा है उस पर जिम्मेदारी कम हो जाती है। एक बार लोग वायरस के खतरे के प्रति जागरुक हो जाते हैं तो उनके व्यवहार में बदलाव आता है।

डॉक्टर रियान ने बताया कि अगर कोरोना की वैक्सीन ढूंढ़ ली जाए तभी भी इस महामारी को काबू करने के लिए काफी प्रयत्न करने होंगे। कोविड-19 बीमारी से अबतक दुनिया में 40 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और तीन लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई है।अमेरिका के सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक कोई भी बीमारी स्थानिक तब होती है जब दुनिया की जनसंख्या में इसकी उपस्थिति और सामान्य प्रचलन जारी रहे यानि कि बढ़ता...

स्थानिक हैजा की 1948 की परिभाषा के अनुसार एक स्थानिक इलाका वो होता है सालों साल हैजा से संक्रमित मरीजों की संख्या बनती रहती है। महामारी विज्ञान की शब्दावली के मुताबिक एक स्थानिक इलाका वो होता है जहां बीमारी या संक्रमण के उपस्थिति जारी है या फिर एक इलाके या समूह में बीमारी का सामान्य प्रचलन जारी है।जर्नल साइंस में छपे एक आलेख के मुताबिक जब कोई संक्रामक रोग स्थानिक बनता है तो लगातार सहन करने जैसी स्थिति पैदा कर देता है जिसका परिणाम यह होता है कि बीमारी से बचाने की जिम्मेदारी सरकार से हटकर व्यक्ति...

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