साल 1936-37, संयुक्त पंजाब में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। चौटाला गांव के लेखराम सिहाग चाहते थे कि उनका छोटा बेटा विधायक बने, लेकिन उसकी उम्र चुनाव लड़ने के लिए जरूरी उम्र से डेढ़ साल कम थी। ऐसे में आत्माराम को कांग्रेस से टिकट मिल
गया। लड़के ने आत्माराम के लिए चुनाव प्रचार किया। वे जीत भी गए, लेकिन चुनाव में गड़बड़ी के चलते हाईकोर्ट ने चुनाव रद्द कर दिया।
लड़का बेहद खुश था। उसके पिता की इच्छा पूरी होने जा रही थी, लेकिन गांव की सरहद पर पहुंचते ही पता चला कि पिता का देहांत हो गया है। लड़का सन्न रह गया। उसके पिता छोटे बेटे को विधायक बनता देखना तो दूर, उसको टिकट मिलने की खुशखबरी भी न सुन पाए। दूसरा प्लान बना। देवीलाल ने अपने गांव चौटाला में 50 लोगों की टीम बनाई। टीम के सात लोग रोज भटिंडा जाते और वहां से अलग-अलग ट्रेनों में बैठ जाते। जब ट्रेन भटिंडा से कुछ दूर पहुंचती तो चेन पुलिंग कर देते लेकिन वहां से भागते नहीं। जब पुलिस और टीटी उनके पास पहुंचते, तो वे कुबूल करते कि चेन पुलिंग उन्होंने की है और उनके नेता देवीलाल हैं।
पुलिस पर लगातार दबाव बढ़ रहा था। पुलिस ने देवीलाल के भाई के जरिए उनसे संपर्क साधा। देवीलाल सरेंडर करने के लिए तैयार हो गए, लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि अगर इलाके के 11 लोग अंग्रेजों की नीतियों के खिलाफ गिरफ्तारी देंगे, तभी मैं सरेंडर करूंगा। इसके बाद 12 लोगों ने गिरफ्तारी दीं और देवीलाल पहली बार अंग्रेजों की गिरफ्त में आए।जमींदारों को कुएं पर पानी भरने से रोका, किसानों के नेता बने देवीलाल
सुबह होते ही हर घर से एक आदमी लाठी के साथ कुएं पर तैनात हो गया। पानी भरने आए जमींदार के लोग ये देखकर वापस लौट गए। गांव के एकजुट होने की बात पुलिस तक पहुंच चुकी थी, इसलिए पुलिस ने भी जमीदारों को समझौता करने की सलाह दी। आखिरकार, जमींदारों को समिति की बात माननी पड़ी।महंत के कहने पर लाल जांघिया पहनकर चुनाव प्रचार किया
हरियाणा के वित्त मंत्री रहे प्रो. संपत सिंह बताते हैं, ‘1979 में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के घर एक मीटिंग हुई। मीटिंग में देवीलाल को हटाकर भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला हुआ। जब देवीवाल को पता चला, तो वे गुस्से में सीधे मोरारजी देसाई के पास पहुंचे और बोले- ‘तुमने मेरी झोपड़ी में आग लगाई है। मैं तुझे भी महल में रहने नहीं दूंगा।’
तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री। अगले दिन यानी 23 मई को राज्यपाल दिल्ली पहुंचे और दिल्ली के हरियाणा भवन में कांग्रेस नेता भजनलाल को सीएम पद की शपथ दिला दी। देवीलाल को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने साल भर हो चुका था। उनकी उम्र करीब 74 पार हो रही थी। पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार बीके चंब भास्कर से बातचीत में बताते हैं- ‘देवीलाल अपने तेजा खेड़ा फार्म पर थे। उन्होंने बेटे ओमप्रकाश चौटाला से कुछ काम करने को कहा।
हॉल के बाहर कान लगाए खड़े पत्रकारों तक ये खबर पहुंची और देवीलाल को भारत का प्रधानमंत्री बताया जाने लगा। हालांकि, कुछ ही मिनट में सारा सिनेरियो बदल गया और PM पद की दहलीज पर खड़े चौधरी देवीलाल प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए। उनकी जगह वीपी सिंह को प्रधानमंत्री चुन लिया गया।
Story Of Devi Lal Becoming The CM Chaudhary Chhotu Ram Chaudhary Khijar Hayat Khan Tiwana Sir Sikandar Hayat Khan
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