यह लेख धान की फसल में कवक रोग से निपटने के लिए विभिन्न प्राकृतिक उपायों पर प्रकाश डालता है। नीम का अर्क, छाछ और बेकिंग सोडा जैसे सामग्री का उपयोग करके कवक के प्रसार को रोका जा सकता है। लेख में सिंचाई पद्धतियों को बेहतर बनाने और संक्रमित पौधों को हटाने जैसी अन्य रणनीतियों पर भी चर्चा की गई है।
जिले के माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत कृषि वैज्ञानिक डॉ. सौरभ बताते हैं कि कवक एक प्रकार का फफूंद होता है जो नमी और अधिक पानी की वजह से धान के पौधों पर तेजी से फैलता है. इसे आमतौर पर ‘ब्लास्ट डिजीज’ के रूप में जाना जाता है. यह फसल के तनों, पत्तियों और दानों पर काले धब्बे बनाता है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और अंततः सड़ने लगते हैं. नीम का अर्क एक प्राकृतिक कवकरोधी की तरह काम करता है. किसानों को नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उसका छिड़काव फसल पर करना चाहिए.
पुराने घरेलू उपायों में से एक, छाछ को फसल पर छिड़कने से फसल को कवक से बचाया जा सकता है. छाछ में मौजूद बैक्टीरिया फफूंद को नियंत्रित करते हैं और फसल को सुरक्षित रखते हैं. इसके लिए 10 लीटर पानी में 2 लीटर छाछ मिलाकर फसल पर छिड़काव करें. एक चम्मच बेकिंग सोडा को 1 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें. यह कवक को नियंत्रित करता है और पत्तियों पर लगे काले धब्बों को खत्म करने में मदद करता है. यह उपाय भी बेहद किफायती है.
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