Paddy Crop Tips: एक तरफ बेमौसम बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी, वहीं दूसरी ओर भूरा फुदका धान की फसल कहर बरपा पा रहा है. भूरा फुदका का समय पर नियंत्रण न किया जाए, तो यह फसल को नुकसान पहुंचा सकता है. छोटा सा ये कीट कुछ ही घंटे में धान के स्वस्थ पौधों का रस चूस कर उन्हें नष्ट कर देता है.
उन्होंने कहा कि धान के पौधे खेत में जगह-जगह पर गोला आकार में सूखने लगते हैं. यह खेत में भरे पानी की ऊपरी सतह पर बैठा रहता है. कीट रस चूस कर पौधे को कमजोर करता है. पौधे पर लार छोड़ देता है. लार मीठा होने की वजह से कई तरह की फफूंदी तैयार हो जाती है. गोले में ही धान के पौधे नष्ट हो जाते हैं. डॉ. नूतन वर्मा ने आगे बताया नाइट्रोजन का अधिक उपयोग भी भूरा फुदका को आकर्षित करती है. गर्म और आर्द्र मौसम भूरे फुदके के प्रजनन के लिए अनुकूल होता है.
पौधे का विकास रुक जाता है. दानों का आकार छोटा हो जाता है. कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात पादप सुरक्षा रोग की एक्सपर्ट डॉ. नूतन वर्मा ने Local18 को बताया कि इन दिनों भूरा फुदका धान की फसल को चपेट में ले रहा है. यह रस चूसने वाला छोटा सा कीट धान के पौधों को पूरी तरह से बर्बाद कर देता है. डॉ नूतन वर्मा ने बताया कि धान की फसल में भूरा फुदका आने के बाद किसानों को रोकथाम के लिए थायमैथाक्सम 100 ग्राम 250 लीटर पानी में घोल बनाकर 1 एकड़ फसल पर छिड़काव कर दें.
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