धान की खेती के लिए उत्तर प्रदेश के इस गांव की क्यों हो रही है चर्चा?

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धान की खेती के लिए उत्तर प्रदेश के इस गांव की क्यों हो रही है चर्चा?
Early Variety Of PaddyEarly Paddy Cultivationधान की अगेती खेती
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Early Paddy Cultivation: धान की खेती पूरी तरह मानसून पर निर्भर होती है. अगर बारिश न हो तो किसानों में हाहाकार मच जाता है. क्योंकि धान की फसल के लिए जहां लगभग 200 सेंटीमीटर बरसात की जरूरत होती है तो वहीं 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान भी होना चाहिए. इससे....

प्रयागराज के हंडिया तहशील का याकूब पुर गांव इन दिनों जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके चर्चा की मुख्य वजह कुछ और नहीं बल्कि इस गांव के किसान हैं. यहां के किसान अपनी धान की अगेती खेती की लिए उत्तर भारत मे खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. आइए इस गांव के अगेती धान की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं. अमूमन देखा जाता है कि धान की खेती पूरी तरह मानसून पर निर्भर होती है. अगर बारिश न हो तो किसानों में हाहाकार मच जाता है.

केवल याकूबपुर गांव के किसान ही नहीं बगल के गांव सरौवा के महेंद्र सिंह पटेल पिछले पांच सालों से गर्मी के मौसम में धान की खेती कर रहे हैं. महेंद्र सिंह पटेल बताते हैं कि 2019 से वह धान की खेती गर्मी के मौसम में कर रहे हैं. उनकी धान की फसल 90 से 95 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है. इसके लिए वह धान की मंसूरी जीरा-32 प्रजाति लगाते हैं. इस प्रजाति की धान की पैदावार भी अच्छी है. प्रति बीघा 12 से 15 कुंतल धन की पैदावार हो जाती है. अब धीरे-धीरे पूरा गांव की धान की अगेती खेती करने लगा है.

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