कोसी नदी के बारे में कहा जाता है कि यह लगातार दिशा बदलते रहती है जिसकी वजह से हर बार नए इलाके इसकी चपेट में आ जाते हैं. जैसे ही कोसी नदी बड़ी नदियों में मिलती है तो पानी का फ्लो तेज हो जाता है और यह विभिन्न क्षेत्रों में फैल जाता है.
बिहार एक बार फिर सैलाब के आगे सरेंडर करता दिख रहा है. वर्षों से बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा झेलने वाले बिहार में बारिश नहीं हो रही है लेकिन आफत सीधे आसमान से बरस रही है. पानी ने ऐसा प्रकोप दिखाया कि हजारों लोग पलायने को मजबूर हैं. बाढ़ से खेतों में पानी भर चुका है, सैकड़ों एकड़ खेती बर्बाद हो चुकी है. बाढ़ ने खेती ही नहीं बल्कि लोगों के घर भी उजाड़ दिए हैं. बुजुर्ग हों या बच्चे, महिलाएं हों या युवा, सभी बाढ़ के कहर के आगे बेबस नजर आ रहे हैं.
तब से अबतक राज्य में 13 नदियों पर 4 हजार किमी से अधिक एरिया में तटबंध बनाए जा चुके हैं लेकिन बाढ़ के हालात में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला. उल्टे इन सात दशकों में बिहार में बाढ़ के खतरे वाला इलाका बढ़कर करीब 70 लाख हेक्टेयर हो गया है क्योंकि नदियों का लगातार विस्तार हो रहा है.
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