राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अनुसार कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें पत्थरबाजी के लिए बच्चों का सहारा लिया जा रहा है CitizenshipAmendmentAct
नागरिकता कानून 2019 के विरोध में असम सहित सभी पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसक प्रदर्शन जारी है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अनुसार कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें पत्थरबाजी के लिए बच्चों का सहारा लिया जा रहा है.
ऐसे में आयोग ने इन बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सभी राज्यों को दिशानिर्देश जारी किया है. साथ ही यह भी कहा है कि अगर कोई व्यक्ति या संस्था विरोध-प्रदर्शन के लिए बच्चों का उपयोग करते पाए जाएं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को खत लिखते हुए आयोग ने कहा, 'ऐसा देखा जा रहा है कि नागरिकता कानून 2019 का विरोध करने के लिए कई लोग बच्चों का सहारा ले रहे हैं. उनसे पुलिस पर पत्थरबाजी जैसे गैरकानूनी काम भी करवाये जा रहे हैं. जो सीधे-सीधे उनके अधिकारों का उल्लंघन है. इस तरह की किसी भी गतिविधि में शामिल रहने वाले लोगों पर किशोर न्याय अधिनियम, 2016 की धारा 83 के तहत कार्रवाई की जा सकती है. इसके तहत दोषियों को 7 साल तक की सश्रम कारावास और 5 लाख रुपये का जुर्माना किया जा सकता है.
आयोग ने ऐसे लोगों के लिए धारा 75 का भी जिक्र किया है. जिसके तहत दोषियों को तीन साल का सश्रम कारावास या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. किशोर न्याय अधिनियम, 2016 के तहत इस सेक्शन में बताया गया है कि बच्चा जिसके संरक्षण में होगा, उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी व्यक्ति या संस्था की होगी.राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 के अंतर्गत मार्च 2007 में की गई थी.
असम में हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन को कई स्थानों पर कर्फ्यू लगाना पड़ा है. अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय कृष्ण के मुताबिक, राज्य में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर कानून- व्यवस्था बनाए रखने के लिए इंटरनेट सेवाएं 16 दिसंबर तक रद्द कर दी गई हैं.
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