नतीजों के बाद बदली परिस्थितियों में बीजेपी को अपनी सरकार में सहयोगियों की संख्या के हिसाब से मंत्री बनाने होंगे. इसका मतलब होगा कि मंत्रिपरिषद में बीजेपी के मंत्रियों की संख्या घटेगी और सहयोगियों की संख्या बढ़ेगी, लेकिन कुछ शर्तों पर बीजेपी शायद ही समझौता करे. सीसीएस के चार मंत्रालयों में सहयोगी को जगह नहीं देगी, वो हैं रक्षा, वित्त, गृह और विदेश.
मनचाहे मंत्रालयों को लेकर सहयोगियों के दबाव का क्या रास्ता निकालेगी बीजेपी... Modi 3.0 : नतीजों के बाद अब देश में एनडीए सरकार बनने जा रही है. मोदी 3.0 और 8 जून को शपथ ग्रहण की तैयारी की जा रही है. उधर, एनडीए के सहयोगियों ने साफ कर दिया है कि उनका पूरा समर्थन प्रधानमंत्री की अगुवाई में बनने जा रही एनडीए सरकार के साथ है, लेकिन ट्विस्ट भी है इसमें कि अब मंत्रालयों को लेकर खींचतान शुरू हो चुकी है. कल एनडीए की बैठक के बाद ही बीजेपी के सहयोगी दलों ने मंत्रीपद के लिए अपनी डिमांड रखनी शुरू कर दी है.
पढ़ें- अयोध्या में आखिर क्यों हार गई बीजेपी? अखिलेश का क्या फार्मूला चल गया, वोट से लेकर ग्राउंड तक, पूरी पिक्चर समझिए युवा और कृषि भी सहयोगियों को देकर सुधार की रफ्तार धीमी नहीं करना चाहती बीजेपी इंफ्रास्ट्रक्चर, गरीब कल्याण, युवा से जुड़े और कृषि मंत्रालयों को भी बीजेपी अपने पास ही रखना चाहेगी. यह मोदी की बताई गई चार जातियों- गरीब, महिला, युवा और किसान के लिए योजनाओं को लागू करने के लिए अहम है. रेलवे, सड़क परिवहन आदि में बड़े सुधार किए गए हैं और बीजेपी इन्हें सहयोगियों को देकर सुधार की रफ्तार धीमी नहीं करना चाहेगी.
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