निर्भया गैंगरेप मामले में फांसी की तारीख टालने की याचिका पर अदालत में आज सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है.
निर्भया गैंगरेप मामले में फांसी की तारीख टालने की याचिका पर अदालत में आज सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है. इससे पहले दोषियों को दोपहर 2 बजे फैसला आने की उम्मीद थी. बता दें कि सुनवाई के दौरान तिहाड़ के वकील ने कहा कि विनय इंतजार कर सकता है, लेकिन बाकी तीन दोषियों को कल फांसी दी जाये. तिहाड़ के वकील ने कहा कि जिसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है, उसे छोड़कर बाकी तीन को कल यानी 1 फरवरी को फांसी दी जाय.
तिहाड़ जेल की ओर से पेश हुए वकील इरफान अहमद ने कहा कि केवल एक दोषी की दया याचिका लंबित है और अन्य को फांसी दी जा सकती है.उन्होंने कहा कि इसमें कोई अवैधता नहीं है. निर्भया के वकील ने कोर्ट में कहा कि नियम कहता है कि जेल प्रशासन इस संबंध में सरकार को संदेश भेजकर पूछेगा कि क्या फांसी रोकी जाए. अगर कोई जवाब नहीं मिलता तो फांसी को रोका जा सकता है. इसके लिए कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है.बता दें दोषी पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार के वकील ए पी सिंह ने अदालत से फांसी पर ‘अनिश्चितकालीन’ स्थगन लगाने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि दोषियों में कुछ के द्वारा कानूनी उपायों का इस्तेमाल किया जाना बचा हुआ है.
निचली अदालत ने 17 जनवरी को मामले के चारों दोषियों मुकेश , पवन , विनय और अक्षय को मौत की सजा देने के लिए दूसरी बार ब्लैक वारंट जारी किया था जिसमें एक फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में उन्हें फांसी देने का आदेश दिया गया. इससे पहले सात जनवरी को अदालत ने फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की थी.अब तक की स्थिति में दोषी मुकेश ने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया है. इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दया याचिका दाखिल करना भी शामिल है. उसकी दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को ठुकरा दी थी.
निर्भया मामले के तीन दोषियों की, उन्हें एक फरवरी को फांसी दिए जाने पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका की सुनवाई को तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत में चुनौती दी थी. इन तीनों दोषियों ने एक फरवरी को उन्हें फांसी देने पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी. जेल के अधिकारियों ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के समक्ष दायर स्थिति रिपोर्ट में इस याचिका का विरोध किया.
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