लेख बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक दबदबे पर प्रकाश डालता है। यह 20 साल से बीजेपी या आरजेडी के साथ रहकर सीएम पद पर काबिज रहने और जेडीयू के नेताओं के बयानों को संदर्भ में रखकर उनके राजनीतिक सफलता की कहानी सुनाता है। लेख में संजय झा के हालिया बयान और दिल्ली चुनाव परिणाम के संदर्भ में उनके गृह मंत्री अमित शाह को भोज पर बुलाने की घटना पर भी चर्चा की गई है।
पटना. बिहार के सीएम नीतीश कुमार बीते 20 साल से एक ही जगह पर इस तरह से कुंडली मारकर बैठ गए हैं कि उठते ही नहीं. 20 मई 2014 से 20 फरवरी 2015 यानी 11 महीने जीतन राम मांझी का शासनकाल छोड़ दें तो नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री हैं. नीतीश कुमार बीजेपी के साथ रहें या आरजेडी के साथ, हर स्थिति और परिस्थिति में सीएम का पद उन्हीं के लिए रिजर्व रहता है. बीते 20 साल में बिहार में कुछ बदला है तो वह डिप्टी सीएम की कुर्सी और नाम. स्व.
जेडीयू के दोनों नेता नीतीश कुमार के काफी करीब तो हैं ही, बीजेपी के भी करीब आ गए हैं. जहां, नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर बिहार के चौक-चौराहों और राजनीतिक गलियारे में चर्चाओं और अफवाहों का बाजार गर्म है. वैसे में संजय झा का यह कहना कि जब-जब मीडिया में नीतीश कुमार के युग की खत्म होने की बात उठी, नीतीश कुमार ने तब-तब बाउंस बैक किया है. राजनीतिक विश्लेषक इसके मायने तलाश रहे हैं.
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