नेपाल से एक बाबा 9 महीने पैदल चलकर प्रयागराज पहुंचे और महाकुंभ में शामिल हुए.
प्रयागराज सिर्फ गंगा योजना एवं अदृश्य सरस्वती का संगम नहीं, बल्कि प्रत्येक वर्ष उनके तट पर दुनिया भर का समागम होता है, जिसमें सनातन धर्म से जुड़े प्रमुख साधु -सन्यासी एवं उनके अखाड़े यहां आकर सनातन धर्म एवं दुनिया के कल्याण की बात करते हुए यज्ञ अनुष्ठान करते हैं. ऐसे में साधु संत, नागा संन्यासी अपने-अपने स्थान से महाकुंभ में प्रवेश करने लगते हैं. इसी में एक नेपाल के बाबा हैं जो 9 महीने पैदल चलकर महाकुंभ संगम पर पहुंच पाए हैं.
अप्रैल में ही निकल चुके थे नेपाल से प्रयागराज साधु संतों में महाकुंभ को लेकर इतना उल्लास देखा जाता है कि वह लगभग एक वर्ष पहले ही तैयारी में लग जाते हैं. महाकुंभ से इतना लगाव कि नेपाल से महाराज जी 9 महीने पहले ही महाकुंभ के लिए निकल चुके थे. बीच में वह कई बार रास्ता भटक गए और मुश्किलों से बचते हुए शुक्रवार को महाकुंभ में पहुंच गए. उन्होंने लोकल 18 के माध्यम से बताया कि अप्रैल महीने में हाईवे नेपाल से पैदल प्रयागराज के लिए निकल चुके थे. रास्ते में कई बार कठिनाइयां उनके सामने आई, लेकिन फिर भी वह अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए टिके रहे. उन्होंने आगे बात करते हुए बताया कि वह यहां पहुंचने के बाद एक बार शिमला पहुंचकर फिर वहां से पैदल प्रयागराज के लिए निकले. यहां है नेपाल में इनका आश्रम लोकल 18 से बात करते हुए विष्णु गिरी जी महाराज ने बताया कि वह नेपाल में मुक्तिनाथ गोरखा जिले से हैं और यहां पर निरंजनी अखाड़ा से जुड़े हुए हैं. उनके गुरु जी भी निरंजनी अखाड़ा से हैं. नेपाल में कसरा देवी होती हैं और नेपाली भारतीयों का बहुत सम्मान करती हैं
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