प्रतीकात्मक
‘न्यूजक्लिक' के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ को सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी को ‘‘अवैध'' बताने के कुछ घंटों बाद बुधवार को जेल से रिहा कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जो फैसला सुनाया है, उसे देश के हर आम नागरिक जो जानना जरूरी है. क्योंकि इस फैसले से आम आदमी को ये जानने का मौका मिलेगा कि उसके लिए किसी मामले में उसके लिए क्या उचित कानूनी प्रक्रिया है.
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूएपीए या अन्य अपराधों के आरोप में गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार के बारे में लिखित रूप में सूचित किया जाना मौलिक और वैधानिक अधिकार है. कोर्ट के ये कहना का मकसद साफ है कि किसी भी इंसान के लिए कानूनी कार्रवाई एक जैसी होनी चाहिए और उसे किसी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.न्यायमूर्ति बी. आर.
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की हर दलील को स्वीकार करते हुए जस्टिस बी आर गवई और संदीप मेहता की बेंच ने कहा,"हम अपीलकर्ता को मुचलका प्रस्तुत करने की आवश्यकता के बिना रिहा करने का निर्देश देने के लिए राजी हो जाते, लेकिन चूंकि आरोप पत्र दायर किया गया है, इसलिए हमें यह निर्देश देना उचित लगता है कि अपीलकर्ता को निचली अदालत की संतुष्टि के मुताबिक जमानती मुचलका जमा करने पर हिरासत से रिहा किया जाए. "
Supreme Court Prabir Purkayastha Delhi Police Fundamental Right Newsclick China Funding Case
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