लोकसभा चुनाव, 2024 से पहले भाजपा सरकार ने अपनी योजनाओं को यह कहकर प्रचारित किया था कि ये मोदी की गारंटी है। क्या ये योजनाएं वोटों में तब्दील हो पाईं। क्यों नहीं चली मोदी की गारंटी? क्या रहा इसके पीछे का गणित। जानते हैं एक्सपर्ट का आकलन क्या कहता है?
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव, 2024 में भाजपा ने युवा, ग़रीब, महिला और किसान सभी पर फोकस किया था। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में भी इन चारों के सशक्तीकरण पर खासा जोर दिया था। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन चारों को देश की सबसे बड़ी जाति और स्तंभ बता चुके हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद ये साफ हो चुके हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की ये योजनाएं जनता को ज्यादा लुभा नहीं पाईं। सबसे ज्यादा ये क्लास यूपी और महाराष्ट्र में था, जहां इसने भाजपा को बड़ा झटका दिया है।जाति, धर्म और किसान के दायरे से अलग बना लाभार्थी...
फिर भी ये हाल! वे 7 कारण जो BJP को लगा झटकासंविधान बदलने के नरैटिव ने बदला वोटर्स का मनराजीव रंजन गिरि कहते हैं कि भाजपा के 400 पार के नारे को विपक्ष ने यह कहकर प्रचारित किया कि भाजपा संविधान बदलना चाहती है, ताकि आरक्षण खत्म किया जा सके। यह नरैटिव जमीनी स्तर पर इतना अचूक हथियार साबित हुआ कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाली गरीब जनता ने ही भाजपा को बड़ा झटका दे दिया।एनडीए को जीत का 'हार', 'इंडिया' हार कर भी जीता, लोकसभा चुनाव में क्या रहे दोनों के मुद्दे? जीडीपी का जश्न मनवाने में...
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