पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने किया साफ- करेवा विवाह करने वाली महिला विधवा पेंशन की हकदार नहीं, वसूली वाजिब

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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने किया साफ- करेवा विवाह करने वाली महिला विधवा पेंशन की हकदार नहीं, वसूली वाजिब
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 'करेवा' विवाह, जिसमें विधवा का विवाह उसके पति के भाई से होता है, पुनर्विवाह का एक मान्यता प्राप्त रूप है और इसकी व्यापक सामाजिक स्वीकार्यता है। ऐसे

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 'करेवा' विवाह, जिसमें विधवा का विवाह उसके पति के भाई से होता है, पुनर्विवाह का एक मान्यता प्राप्त रूप है और इसकी व्यापक सामाजिक स्वीकार्यता है। ऐसे में करेवा विवाह करने वाली महिला विधवा पेंशन के लिए पात्र नहीं है। कैथल जिले की शांति देवी ने याचिका दाखिल करते हुए 16 जनवरी, 2019 के आदेश को चुनौती दी थी। उन्हें सरकार द्वारा विधवा पेंशन के रूप में प्राप्त किए गए 1,06,500 रुपये ब्याज सहित जमा करने के लिए नोटिस जारी किया गया था। यह राशि...

कर रही थी। याची के वकील ने कहा कि करेवा विवाह केवल एक सामाजिक दायित्व है और यह वैध विवाह नहीं है। याची ने बताया कि लगातार उसे परेशान किया जा रहा है और आपराधिक कार्रवाई की धमकी दी जा रही है। परिवार में किए गए इस पारिवारिक कार्य विधवा को उसके मृत पति के लाभों से वंचित नहीं करता है और उसे सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ देने से मना नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह योजना के उद्देश्य के विपरीत होगा। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के उस फैसले को बरकरार रखते हुए रिकवरी आदेश को सही माना है। हाईकोर्ट ने कहा कि...

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