AgendaAajTak19 में गृहमंत्री AmitShah ने दिए कई सवालों के जवाब ShahOnAajTak
देश भर में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर तीखी बहस हो रही है. विपक्ष और सरकार इसे लेकर अपने-अपने दावे कर रहे हैं. इससे जुड़े कई सवाल लोगों के मन में हैं. ऐसे ही कुछ सवाल आजतक ने अपने खास आयोजन 'एजेंडा आजतक 2019' में खुद गृह मंत्री अमित शाह से पूछे. ये सवाल टीवी टुडे ग्रुप के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल ने शाह के साथ अलग-अलग विषयों पर लंबी बातचीत के दौरान रखे.
अमित शाह: देखिए जहां तक छात्रों का सवाल है, पुलिस का उनके पीछे पड़ने का कोई सवाल पैदा नहीं होता है. मगर यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर से पथराव होता है. विश्वविद्यालय के छात्र, या तो छात्रों के साथ मिलकर पढ़ने वाले जो कोई लोग हैं, बाहर आते हैं, किसी का स्कूटर रोक लेते हैं, दो पहिया रोक लेते हैं, मोपेड रोक लेते हैं...पेट्रोल निकालते हैं, बस जलाते हैं...किसी की गाड़ी जलाने का प्रयास करते हैं और उस वक्त भी अगर पुलिस कुछ नहीं करती है तो मैं मानता हूं कि पुलिस सही से अपनी ड्यूटी नहीं कर रही है.
अमित शाह: पहले मैं स्पष्ट कर दूं कि NRC में धर्म के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी. जो कोई भी NRC के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जाएगा, उसे देश से बाहर निकाला जाएगा. तो ये कहना है कि सिर्फ मुसलमानों के लिए NRC होगी ये कहना मेरे हिसाब से पूर्णतः गलत है. बड़ी डिमांड हुई. 1950 में नेहरू और लियाकत अली खान के बीच दिल्ली में समझौता हुआ, दोनों देशों के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर. दोनों देशों ने उनकी सुरक्षा तय की. जब दोनों देशों ने समझौता किया तो आबादी क्या थी. अभी का जो पाकिस्तान है वहां पर लगभग 23 फीसदी आबादी हिंदुओं की थी, बांग्लादेश जिसे उस वक्त पूर्वी पाकिस्तान कहते थे, में 30 प्रतिशत हिंदू थे. आज पाकिस्तान में 3 प्रतिशत रह गए. कहां गए?. धर्म परिवर्तन कराया गया जबरन. या तो वो धर्म बचाने के लिए यहां आ गए.
सरदार पटेल के बारे नहीं कहूंगा, कांग्रेस नहीं मानेगी उनकी. अब कांग्रेस पार्टी का प्रस्ताव सुनिए, "25 नवंबर 1947, कांग्रेस कार्यकारिणी ने निम्नलिखित संकल्प अंगीकार किया. कांग्रेस पाकिस्तान के उन सभी गैर मुस्लिमों...मेरे शब्द ध्यान से सुनिए...मैंने ऐसा नहीं कहा है....हम कहेंगे तो हिन्दुवादी हो जाएंगे, कांग्रेस कहेगी तो सेकुलर होगी...कांग्रेस पाकिस्तान के उन सभी गैर मुस्लिमों को पूर्ण सुरक्षा देने के लिए बाध्य है.
सवाल: लोगों के पास दस्तावेज नहीं हैं, वो नागरिकता कैसे साबित करेंगे. विपक्ष तो कहा है कि मार्कशीट दिखाने में दिक्कत हो रही है...गरीब लोग कहां से दस्तावेज दिखाएंगे? 'बंटवारे के वक्त भारत का वचन था कि जो हिंदू और सिख भाई वहां रह गए हैं, जो उस देश में अल्पसंख्यक हैं, अगर वो उस देश में रहना नहीं चाहते तो भारत देश उन्हें स्वीकार करेगा. यह हमारे देश के सदन का वचन है, देश के गवर्नर जनरल का वचन है, इस देश के प्रधानमंत्री का वचन है और सबसे ऊपर महात्मा गांधी का कमिटमेंट है. जिसको पूरा देश मानता है. फिर इनकी एंट्री पर क्यों सवाल उठाया जा रहा है?'
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