गिलियन बैरे सिंड्रोम के मामले अचानक से बढ़ने का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दूषित जल स्रोत या एक नया स्ट्रेन इसके ज़िम्मेदार हो सकता है।
पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी गिलियन बैरे सिंड्रोम के केस महाराष्ट्र के अलावा पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी रिपोर्ट किए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पश्चिम बंगाल में पिछले चार दिनों में गुलियन-बैरे सिंड्रोम ( जीबीएस ) के कारण कथित तौर पर एक बच्चे समेत तीन लोगों की मौत हो गई। तीनों के घरवालों ने दावा किया है कि उनकी मौत संदिग्ध जीबीएस के कारण हुई है। हालाँकि, राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक इन मौतों के कारण की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के
अनुसार, पश्चिम बंगाल में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है, घबराने की कोई बात नहीं है। इसी तरह राजस्थान के जयपुर में भी बीमारी के तीन मामले सामने आए हैं। सभी मरीज एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। सैंपल जांच के लिए सवाई मानसिंह (एसएमएस) मेडिकल कॉलेज की लैब में भेजे गए थे, जहां संक्रमण की पुष्टि हुई है। मरीजों की स्थिति फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। देश के अन्य हिस्सों में भी इस बीमारी के मामले सामने आने के बाद चिकित्सा विभाग सतर्क हो गया है। क्या दूषित पानी की वजह से बढ़ रही है ये बीमारी? गिलियन बैरे सिंड्रोम के मामले अचानक से क्यों बढ़ रहे हैं, ये सवाल सभी के मन में है। महाराष्ट्र फिलहाल इससे सबसे प्रभावित राज्य है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अबितकर का मानना है कि पुणे में हाल ही में हुआ जीबीएस का प्रकोप संभवतः दूषित जल स्रोतों से जुड़ा हो सकता है। राज्य में फैल रही इस बीमारी को लेकर हाल ही में मंत्रिमंडल की बैठक में गंभीरता से चर्चा हुई है, जिसमें अधिकारियों का मानना है कि दूषित पानी की वजह से संभवत: ये बीमारी फैल रही है। इससे निपटने के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है जो पानी के सैंपल की जांच करके बीमारी के प्रसार को रोकने का काम कर रही है। क्या कहते हैं विशेषज्ञ? अमर उजाला से बातचीत में पुणे स्थित एक अस्पताल में वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ एन.आर.निरंजन ने बताया कि गिलियन बैरे सिंड्रोम के मामलों के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, इसमें से एक कारण बैक्टीरिया का संक्रमण भी होता है। कैम्पिलोबैक्टर नामक बैक्टीरिया के संक्रमण को पहले से ही इस रोग का कारण माना जाता रहा है जो दूषित पानी से फैल सकता है। ये बैक्टीरिया तंत्रिकाओं को प्रभावित करने वाला हो सकता है यही कारण है कि इससे संक्रमित में जीबीएस का खतरा रहता है। सभी लोगों को इस बढ़ती बीमारी के जोखिमों को देखते हुए विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। जिन स्थानों पर इस रोग के मामले बढ़ रहे हैं, वहां पानी की स्वच्छता को लेकर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी है। नया स्ट्रेन हो सकता है जिम्मेदार डॉक्टर कहते हैं, जिस तरह से अचानक से ये बीमारी बढ़ रही है ऐसे में आंशका है कि इसके लिए कोई नया स्ट्रेन जिम्मेदार हो सकता है जो म्यूटेट होकर महाराष्ट्र में फैल रहा है। जब कोई व्यक्ति रोगजनकों के संपर्क में आता है, तो उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली इनसे मुकाबला करती है। संभवत: नए स्ट्रेन के कारण प्रतिरक्षा प्रक्रिया इसका मुकाबला नहीं कर पा रही है जिस वजह से गंभीर जटिलताएं देखी जा रही हैं और रोगियों को वेंटिलेटर तक की जरूरत हो रही है। फिलहाल सभी लोगों पीने के लिए साफ पानी के उपयोग को सुनिश्चित करना चाहिए ताकि अभी के लिए इस संक्रामक रोग के प्रसार को कम किया जा सके
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