भारत सरकार ने पाँच और भाषाओं - मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया है। इससे पहले तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया को यह दर्जा दिया जा चुका है।
Shastriya Bhasha: पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला है. कैसे मिलता है ये स्टेट्स; क्या हैं फायदे?
Marathi, Pali, Prakrit, Assamese, Bengali: सरकार ने शास्त्रीय भाषा के तहत दर्जा देने के लिए कुछ नियम निर्धारित किए थे. इसमें ग्रंथों की उच्च प्राचीनता या एक हजार साल से अधिक का इतिहास देखा जाएगा.कॉलर पकड़कर पुलिस डाल देगी जेल में! मोबाइल में भूलकर भी न रखें ये चीजें; जिंदगी भर पछताएंगेकौन है रामसे ब्रदर्स की हॉरर फिल्मों में नजर आने वाली ये एक्ट्रेस? जिसकी एक चीख सुन खड़े हो जाते थे रोंगटे; 38 साल बाद भी लगती हैं खूबसूरतIndoor Plantsपांच और भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है.
दरअसल, भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 2004 को"शास्त्रीय भाषाओं" के रूप में भाषाओं की एक नई कैटेगरी बनाने का फैसला किया था, जिसके तहत तमिल को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया था. सरकार ने शास्त्रीय भाषा के तहत दर्जा देने के लिए कुछ नियम निर्धारित किए थे. इसमें ग्रंथों की उच्च प्राचीनता या एक हजार साल से अधिक का इतिहास देखा जाएगा.इसके अलावा प्राचीन साहित्यिक ग्रंथों का एक समूह, जिसे बोलने वालों की पीढ़ियों के लिए एक मूल्यवान विरासत माना जाता है.
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने साहित्य अकादमी के तहत नवंबर 2004 में शास्त्रीय भाषा के दर्जे के लिए प्रस्तावित भाषाओं की जांच करने के लिए एक भाषा विशेषज्ञ समिति का भी गठन किया था. नवंबर 2005 में इसके नियमों में कुछ और संशोधन किया और इसके बाद संस्कृत को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया.अभी तक 6 भाषाओं को साल 2004 - 2014 तक शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया था.सबंधित भाषा के प्रतिष्ठित विद्वानों को हर साल दो बड़े सम्मान देने की व्यवस्था.
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