बिहार के छपरा के एक छोटे से गांव से निकले अशोक तिवारी ने रूस की राजधानी मॉस्को में शिक्षा प्राप्त करने का सपना देखा। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने संघर्ष किया और आज उज्बेकिस्तान में अपनी पहचान बनाई है। उनकी कहानी प्रेरणादायक है और भारत के प्रति उनका प्रेम अटूट...
पटना: बिहार के छपरा जिले के मूल निवासी डॉक्टर अशोक तिवारी उज़्बेकिस्तान में अब बड़ा नाम है। डॉक्टर अशोक तिवारी राजधानी ताशकंद में रहते हैं। 32 साल पहले 1992 में उच्च शिक्षा के सपने के साथ वह अपने गांव से रवाना हुए थे। दिल्ली होते हुए वह रूस की राजधानी मास्को पहुँचे। मास्को पहुँचकर उन्हें एक अलग ही दुनिया का अनुभव हुआ। शहर की खूबसूरती, लोगों का व्यवहार, शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर सब कुछ अद्भुत था। सबसे पहले उन्होंने रूसी भाषा का एक साल का कोर्स किया, जो सभी विदेशी छात्रों के लिए अनिवार्य था। उनका...
मेरा टीचर बनो। खाना-पीना, रहना मेरी तरफ से और 50 रूबल तुम्हें पॉकेट खर्चे दे दूंगा।'बिजनेस के लिए पैसे नहीं थे, कोई पार्टनरशिप को तैयार नहीं था: डॉ अशोकहालांकि, डॉक्टर अशोक तिवारी के मन में हमेशा से ही बिजनेस करने का विचार था। उन्होंने बताया कि 'मैंने सपना तो कारोबार करने का दिमाग में पाल लिया था, लेकिन बिजनेस कहां करना है, कैसे करना है, किसके साथ करनी है, किस प्रोडक्ट में करना है, यह मेरे पास कोई प्लान नहीं था। केवल सपना बड़ा था, जेब में पैसा बड़ा नहीं था। कोई उस समय मेरे साथ...
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