पीलीभीत में एनकाउंटर: तराई का शांत इलाका क्यों बन रहा अपराधियों की पनाहगाह?

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पीलीभीत में एनकाउंटर: तराई का शांत इलाका क्यों बन रहा अपराधियों की पनाहगाह?
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उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में सोमवार को हुए एनकाउंटर में तीन खालिस्तानी आतंकियों को पुलिस ने मार गिराया। पुलिस जांच में जुटी है कि आतंकियों ने पीलीभीत को छिपने के लिए क्यों चुना। पीलीभीत पहले भी खालिस्तानी आतंकियों का गढ़ रहा है। नेपाल की खुली सीमा की वजह से तराई का शांत माना जाने वाला इलाका पीलीभीत आतंकियों और अपराधियों की शरणगाह बनता जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में सोमवार सुबह हुए एनकाउंटर की जांच जारी है। सोमवार को खालिस्तान समर्थक तीन आतंकियों को पंजाब और पीलीभीत पुलिस ने साझा कार्रवाई में मार गिराया था। अब पुलिस इस बात की जांच में जुट गई है कि आतंकियों ने छिपने के लिए पीलीभीत को ही क्यों चुना, कहां रुके थे। चूंकि पीलीभीत पहले भी खालिस्तानी आतंकियों का गढ़ रहा है। करीब 33 साल पहले 1991 में भी एक ही दिन अलग-अलग तीन मुठभेड़ों में 10 खालिस्तानी आतंकी मारे गए थे। सूत्रों की मानें तो सोमवार को मारे गए तीनों आतंकी दो दिन पहले

ही यहां आ गए थे। पीलीभीत के पूरनपुर क्षेत्र के सिख बहुल इलाके में रह रहे थे। चूंकि नेपाल की सीमा भी यहां से सटी हुई है। ऐसे में आशंका है कि ये लोग नेपाल भागने की फिराक में थे। खुली नेपाल सीमा से तराई का पीलीभीत जिला बन रहा अपराधियों की पनाहगाह नेपाल की खुली सीमा की वजह से वर्तमान में तराई का शांत माना जाने वाला इलाका पीलीभीत आतंकियों और कुख्यात अपराधियों की शरणगाह बनता जा रहा है। जिले में कई स्थानों पर नेपाल की सीमा लगती है। वहां लोगों का आवागमन रहता है। ऐसे में कई बार इस तरह की गतिविधियां सामने आई हैं। कुछ माह पहले गैंगस्टर की हत्या करने वाले अपराधी भी यहां पकड़े जा चुके हैं। मुख्य रूप से पूरनपुर और कलीनगर क्षेत्र से नेपाल की सीमा जुड़ती है। जिले में भारतीय सीमा के 17 नंबर पिलर से 28 तक करीब 40 किलोमीटर नेपाल सीमा है। कई स्थानों पर खुला है आवागमन कई स्थानों पर यह सीमा पूरी तरह खुली है। सिर्फ सीमा पिलर ही लगे हैं। कच्चे रास्ते और जंगल के बीहड़ इलाके भी हैं। आवागमन भी काफी सुगम है। इसके अलावा उत्तराखंड राज्य की सीमा भी जिले से सटी है। यही वजह है कि जिले में कुख्यात अपराधियों और आतंकियों की आवाजाही रहती है। मार्च 2024 में जम्मू के गैंगस्टर राजेश डोगरा की हत्या के बाद पांच शूटरों ने पूरनपुर के शाहगढ़ इलाके में स्थित एक घर में आकर शरण ली थी। पीलीभीत में 33 साल पहले भी हुई थी मुठभेड़.

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