इससे पहले पुतिन साल 2000 में तब उत्तर कोरिया के दौरे पर गए थे, जब उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति का पद संभाला था. उस समय किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल, उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता थे.
रूस पर नज़र रखने वालों को पिछले कई महीनों से मालूम था कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उत्तर कोरिया के दौरे पर जाने वाले हैं.
एक बात तो तय है: इस दौरे को लेकर रूस ही नहीं, पूरी दुनिया के पत्रकार ख़बर हासिल करने के लिए होड़ लगा रहे हैं.यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए पुतिन की शर्तें ख़ारिज़, शांति सम्मेलन में क्यों नहीं बनी बात?रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय क्रेमलिन ने कहा है कि पुतिन के दौरे की जानकारी सही समय पर सामने आएगी. फिर भी, अटकलों का बाज़ार गर्म है.पहली बात तो ये है कि पुतिन चूंकि सिर्फ़ दूसरी बार उत्तर कोरिया जाने वाले हैं, तो उनके दौरे को लेकर उत्सुकता होना लाज़मी है.
इस बात को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि रूस और उत्तर कोरिया एक दूसरे से क्या चाहते हैं. ऐसा लगता है कि ये सारा मामला हथियारों की आपूर्ति पर जाकर रुक जाता है. इसमें कोई शक नहीं है कि यूक्रेन में अपना युद्ध जारी रखने के लिए रूस को हथियारों और गोला बारूद की दरकार है. इसी साल की शुरुआत में रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव को वीटो कर दिया था, जिसमें उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों की निगरानी करने वाले पैनल को विस्तार दिया जाना था. रूस के इस क़दम से उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों को गहरी चोट पहुंची थी.परमाणु कार्यक्रमों की वजह से उत्तर कोरिया पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं.
सपाट लफ़्ज़ों में कहें तो, दुनिया से अलग-थलग पड़ चुके रूस के लिए आज उत्तर कोरिया की अहमियत बहुत बढ़ गई है और उत्तर कोरिया को ये पता है कि रूस को दोस्तों की ज़रूरत है. एक सवाल ये भी है कि क्या यूक्रेन में अपने तथाकथित ‘विशेष सैन्य अभियान’ के बावजूद, पुतिन पूरी दुनिया में नए-नए देशों के साथ रिश्ते क़ायम करने की कोशिश कर रहे हैं? तो इसका जवाब है कि हां वो निश्चित रूप से ऐसी कोशिश कर रहे हैं.
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