पेंटागन, अमेरिकी रक्षा विभाग का मुख्यालय है और इसे सैन्य शक्ति का प्रतीक माना जाता है. यह इमारत अपने विशाल आकार और कार्यक्षमता के लिए प्रसिद्ध है. इस लेख में, हम पेंटागन के इतिहास, विशेषताओं, निर्माण और महत्व के बारे में जानेंगे.
पेंटागन अमेरिकी रक्षा विभाग का मुख्यालय है और इसे सैन्य शक्ति के प्रतीक के रूप में विश्व की सबसे प्रभावशाली इमारत माना जाता है. यह वर्जीनिया के आर्लिंगटन काउंटी में है, जो वाशिंगटन, डी.सी. के पास है. यह बिल्डिंग 1,100 एकड़ जमीन पर बनी है और इसका निर्माण कार्य 11 सितम्बर 1941 को शुरू हुआ और यह 15 जनवरी 1943 को पूरा हुआ था. पेंटागन 1942 से 1947 तक अमेरिकी युद्ध विभाग का हेडक्वाटर रहा था. उसके बाद से यह अमेरिकी रक्षा विभाग का केंद्र बन गया.
पेंटागन से ही राष्ट्रपति और रक्षा सचिव पूरी दुनिया में अमेरिकी तीनों सेनाओं की कमान संभालते हैं. रिकॉर्ड समय में बनकर पूरा हुआ 15,000 श्रमिक दिन-रात निर्माण स्थल पर कार्य करते थे, 11 सितंबर 1941 को शुरू हुआ निर्माण, 16 महीनों बाद 15 जनवरी 1943 को पूरा हुआ. शुरुआत में इसके लिए लगभग 12 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था, लेकिन अंतिम लागत 21 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जो आज के हिसाब से 540 करोड़ रुपये से भी अधिक है. पेंटागन की खासियतें? पेंटागन दुनिया की सबसे बड़ी लो-राइज़ ऑफिस बिल्डिंग है, इसमें 65 लाख वर्ग फीट ऑफिस स्पेस है, इसमें कुल 7,754 खिड़कियां और 29 किमी लंबे गलियारे हैं. इस इमारत का डिज़ाइन इतना खास है कि इमारत के दो सबसे दूर स्थित बिंदुओं के बीच चलने में केवल लगभग 7 मिनट लगते हैं, इसी कारण यह अपने विशाल आकार के बावजूद उत्तम कार्यक्षमता का भी प्रतीक है. इमारत के लिए पेंटागन शेप को क्यों चुना गया? इस इमारत का अनूठा पंचकोणीय आकार उस स्थल की भौगोलिक विशेषताओं से प्रेरित था. पेंटागन जिस भूमि पर पहले बनने की योजना थी, वह पांच सड़कों से घिरी हुई थी. इसी कारण वास्तुकारों ने इसका डिज़ाइन पंचकोणीय ही रखा. पेंटागन के निर्माण में 1,000 वास्तुकारों और 14,000 कुशल कारीगरों की मदद ली गई थी. इसके निर्माण के लिए 4,35,000 गज कंक्रीट / 43,000 टन स्टील / 6,80,000 टन रेत और बजरी का इस्तेमाल हुआ था. द्वितीय विश्व युद्ध में बना अस्थायी घर द्वितीय विश्व युद्ध के चरम पर पेंटागन में 33,000 से अधिक लोग निवास करते थे जिसके कारण इसकी महत्वाकांक्षाएं अपेक्षाओं से कहीं अधिक हो गई. युद्ध के समाप्त होने के बाद भी इतनी बड़ी सैन्य ताकत को सक्रिय रखना आवश्यक हो गया था, इसलिए पेंटागन को किसी और चीज में बदलने की बजाय इसे सैन्य कमांड सेंटर के रूप में ही बनाए रखा गया. आज, पेंटागन में रक्षा सचिव का कार्यालय, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ और सेना, नौसेना, मरीन कॉर्प्स और वायु सेना के उच्चतम अधिकारियों का मुख्यालय है. 11 सितम्बर की तारीख बेहद महत्वपूर्ण पेंटागन का निर्माण कार्य 11 सितम्बर 1941 को शुरू हुआ था, ठीक 60 साल बाद 11 सितंबर 2001 के दिन ईमारत पर आतंकवादी हमला हुआ था. आतंकवादियों ने विमानों का अपहरण कर उन्हें न्यूयॉर्क सिटी के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और अमेरिकी सैन्य शक्ति के प्रतीक पेंटागन पर टकरा दिया था. अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट 77 पेंटागन के पश्चिमी हिस्से से टकराई, हमले में 184 लोगों की जान चली गई थी. किस व्यक्ति की निगरानी में हुआ निर्माण? “कर्नल लेस्ली ग्रोव्स” जो आर्मी कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर्स के अधिकारी थे, ने अगस्त 1941 में पेंटागन के निर्माण की ज़िम्मेदारी संभाली थी. कर्नल लेस्ली वही शख्स थे जिन्हें “मैनहट्टन प्रोजेक्ट” का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया था, जिसमे अमेरिका ने परमाणु बम का निर्माण कर सफल परिक्षण किया था. रॉबर्ट ओपेनहाइमर, जिन्हें “परमाणु बम के जनक” के रूप में जाना जाता है, मैनहट्टन प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक निदेशक थे. विश्व का सबसे बड़ा कार्यालय होने का पेंटागन का रिकॉर्ड किसने तोड़ा? पेंटागन का विश्व का सबसे बड़ा कार्यालय भवन का रिकॉर्ड 2023 में भारत, गुजरात, सूरत के डायमंड बॉर्स भवन ने छीन लिया था. पेंटागन 80 वर्षों तक दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग थी, लेकिन अब यह उपाधि सूरत में बने नए “डायमंड बॉर्स भवन” को मिल गई है, जिसमें हीरा व्यापार केंद्र है, भवन में 65,000 से अधिक हीरा पेशेवर एक साथ काम कर सकेंगे
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