पॉजिटिव स्टोरी- मखाने की खेती से करोड़पति बना: विदेश की जॉब छोड़कर गांव लौटा, अब सालाना 14 करोड़ टर्नओवर

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पॉजिटिव स्टोरी- मखाने की खेती से करोड़पति बना: विदेश की जॉब छोड़कर गांव लौटा, अब सालाना 14 करोड़ टर्नओवर
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बिहार के मिथिला क्षेत्र में एक कहावत मशहूर है- ‘पग-पग पोखरि माछ मखान, मधुर बोली मुख में पान' यानी कदम-कदम पर तालाब, मछली, मखाना, मधुर वाणी और मुंह में पान, यही मिथिला की है पहचान।मैं उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर-दरभंगा होते हुए मधुबनी के रास्ते में हूं। कुछ किलोमीटर की दूरी पर तालाब दिख रहा है। सड़क किनारे मछली बेचने वाले बैठे हैं और खेतों में पान की फसलें लहलहा रही हैं।‘मिथिला नेचुरल्स’मनीष बताते हैं, ‘आज से 10 साल पहले तक लोग मखाना को बस पूजा-पाठ में इस्तेमाल करते थे, लेकिन आज हर घर में...

मनीष के ऑफिस में अलग-अलग वैराइटी के मखाने डिस्प्ले करके रखे हुए हैं। इसमें रोस्टेड मखाने के डिब्बे से लेकर मखाना खीर तक के पैकेट हैं। पापा बताते थे कि जब उनके पिता ने संन्यास लेने का फैसला लिया, तो घर के बाकी लोग उन्हें रोक नहीं पाए। हमारी जॉइंट फैमिली थी। दादी और पापा के चाचा ने उनकी परवरिश की। अच्छी बात यह रही कि पढ़ाई पूरी होते ही उनकी सरकारी नौकरी लग गई। बैंक में सिलेक्शन हो गया। हम लोग पटना में शिफ्ट हो गए।’

16 साल मैंने प्राइवेट कंपनियों के साथ काम किया है। अलग-अलग तरह के नए-नए प्रोजेक्ट लॉन्च किए हैं। दूसरों के लिए ब्रांड्स बनाए हैं। अब जॉब तो जॉब होती है। आप दूसरे की कंपनी के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। इस काम से मेरा मन ऊब गया था। विदेश से गांव वापस आने के बारे में सोचने लगा।’ यह बात मुझे खटकने लगी। गांव में रहने का कोई तो बहाना चाहिए था। यहां देखता था कि आसपास मखाने की खेती बरसों से होती रही है, लेकिन कोई ब्रांड नहीं बन पाया था। मुझे इसमें बिजनेस पोटेंशियल दिखा।’… तो इससे पहले आपने कभी मखाने की खेती की थी?

मखाने की खेती के लिए शर्त ये होती है कि जमीन से एक-डेढ़ फीट तक पानी हमेशा ऊपर और स्थिर रहना चाहिए। मखाना का सीड जब तैयार हो जाता है, तो सुखाने और फिर सफाई, छंटाई के बाद इसे भूना जाता है। फिर इसे लकड़ी के पट्टे की मदद से फोड़ा जाता है।

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