प्रयागराज में हर 12 साल बाद आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जा रहा है। देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान कर पवित्र बनना चाहते हैं।
महाकुंभ मेला हर 12 साल बाद प्रयागराज में आयोजित होता है। इस बार इसका आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जा रहा है, जहां देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु गंगा , यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। आपको बता दें कि, महाकुंभ की कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी है। माना जाता है कि अमृत कलश की कुछ बूंदें पृथ्वी के चार पवित्र स्थानों ( प्रयागराज , हरिद्वार, उज्जैन और नासिक) पर गिरी थीं। इन स्थानों पर हर ही 4 साल पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार देवता और असुरों के बीच
अमृत के लिए 12 दिनों तक युद्ध हुआ था, जो मानव जीवन के 12 साल के बराबर माने जाते हैं। इसीलिए हर 12 साल बाद महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि, ज्योतिषीय गणना के अनुसार जब बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं, तब कुंभ प्रयागराज में लगता है। शास्त्रों में प्रयागराज को “तीर्थराज” कहा गया है। मान्यता है कि पहला यज्ञ ब्रह्मा जी ने यहीं पर किया था। ये स्थान पवित्रता और धार्मिकता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वजह से हर 12 साल बाद यहां महाकुंभ का आयोजन होता है। इसी तरह जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य देव मेष राशि में गोचर करते हैं, तब कुंभ हरिद्वार में आयोजित होता है। जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में विराजमान होते हैं, तो महाकुंभ नासिक में लगता है। जब बृहस्पति सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में हो तो कुंभ का आयोजन उज्जैन में होता है
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