प्रयागराज संगम में महाकुंभ से पहले तैयारियां पूरी तरह से रंगीन झलक दिखा रही हैं। नाविकों द्वारा लकड़ी की नावों से श्रद्धालु संगम तक पहुँच सकते हैं। यमुना के गहरे पानी और लहरों की वजह से इन नावों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
महाकुंभ 2025 से पहले अगर प्रयागराज संगम आ रहे हैं तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें. जैसे कहां से नाव मिलेगी, संगम कितनी दूर है और कितना किराया लग सकता है, वगैरह. प्रयागराज संगम की खास बात ये है कि यहां पर आपको बोट नहीं बल्कि लकड़ी की नाव मिलती है, जिसको नाविक चलते हुए आपको संगम तक लेकर जाते हैं. यमुना जी में गहराई अधिक होने और यहां पर लखवासन वाली नाव चलने में उसकी लहर से इन नावों को दिक्कत होती है. महाकुंभ से पहले प्रयागराज संगम कुछ इस तरह नजर आ रहा है.
गंगा जमुना के किनारे खड़ी नाव संगम की शोभा बढ़ाती है तो वहीं प्रतिदिन आने वाले हजारों श्रद्धालु इन्हीं नावों से मुख्य संगम तक जाते हैं. इसी के साथ महाकुंभ मेला क्षेत्र भी सजधज कर तैयार हो गया है. यहां पर मुंज के आश्रम बनाए जाते हैं जिसमें जाकर ऋषि मुनि एक महीने तक आध्यात्मिक ज्ञान में खोए रहते हैं. खासकर प्रयागराज महाकुंभ मेला क्षेत्र में सुबह और शाम का दृश्य काफी मनोरम होता है. ऐसे मनोरम दृश्य को देखने के लिए सुबह शाम यहां लोकल पर्यटकों की काफी भीड़ लगती है. प्रयागराज का संगम गंगा यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के मिलने से बनता है. यहां स्नान करने के लिए नाव से पहुंचना होता है. यहां तक जाने का किराया प्रति सवारी ₹60 नाविक लेते हैं. इसके अलावा प्रयागराज संगम पर नाव की सवारी के अलावा रेगिस्तान के जहाज ऊंट की सवारी भी कर सकते हैं. जहां 1 किलोमीटर का ₹50 लिया जाता है. ऊंट यहां के स्थानीय लोग दर्जनों की संख्या में रखते हैं
MUKHAMB PRAYAGRAJ SANGAM NAV PREPARATIONS
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