प्रशांत किशोर की राजनीति की शुरुआत अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक शुरुआत से मिलती जुलती है, लेकिन बिहार और दिल्ली की राजनीतिक परिस्थितियों में अंतर है। बिहार की राजनीति जाति-आधारित है, जबकि दिल्ली की राजनीति कॉस्मोपॉलिटन है। जानकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर का सवर्ण और ब्राह्मण होना उनकी राजनीतिक यात्रा में बाधा डाल सकता है। प्रशांत किशोर ने कंबल विवाद से उबरने और धरना देने का फैसला किया, जो उनके राजनीतिक विरोधियों के लिए खतरा है।
प्रशांत किशोर की राजनीति जिन हालात में शुरू हुई है, परिस्थितियां अरविंद केजरीवाल की शुरुआती राजनीति से मिलती जुलती ही हैं, लेकिन बहुत सारी चीजें बिल्कुल अलग हैं - और सबसे अलग है बिहार और दिल्ली की राजनीति का मिजाज. बेशक दिल्ली में पूर्वांचल और पंजाब के लोगों का खास प्रभाव है, लेकिन दिल्ली का वोटर जहां कॉस्मोपॉलिटन है, बिहार की राजनीति जाति से ही शुरू होकर खत्म भी हो जाती है.
Advertisementप्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि ये मुद्दा उनका खुद का नहीं है, नीतीश कुमार की जिद के आगे युवाओं की जिद है… और जीत बिहार के युवाओं की ही होगी.तेजस्वी और राहुल गांधी को सीधा चैलेंज तेजस्वी यादव को चुनौती देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि ये आंदोलन किसी एक व्यक्ति का नहीं है… ये बिहार की खराब व्यवस्था के खिलाफ है… मैं तमाम राजनीतिक पार्टियों से आंदोलन में सहयोग देने की अपील करता हूं.
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