प्रेमानंद महाराज: माता-पिता का प्यार मोह है, प्रेम इससे बहुत ऊँचा है

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प्रेमानंद महाराज: माता-पिता का प्यार मोह है, प्रेम इससे बहुत ऊँचा है
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वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज ने कहा कि माता-पिता का स्नेह एक मोह है जो प्रेम से ऊँचा है. उन्होंने कहा कि असली प्रेम स्वार्थ रहित होता है.

वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज के दरबार में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं और जीवन की जटिलताओं, समस्याओं को लेकर उनसे सवाल भी पूछते हैं. हाल ही में एक शख्स महाराज के कथा पंडाल में पहुंचा और उसने सवाल पूछा कि माता-पिता का प्यार सच्चा है या झूठा. इस पर प्रेमानंद महाराज ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ' माता-पिता का स्नेह एक मोह है. प्रेम उससे बहुत ऊंची चीज है.' 'स्त्री या पुरुष के मध्य जो स्नेह है वो प्रेम नहीं है. काम है. आसक्ति यानी किसी वस्तु, विषय या व्यक्ति के प्रति लगाव प्रेम नहीं होता है.

'प्रेमानंद महाराज ने कहा, ' शास्त्रों में लिखा है- कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति. मतलब बेटा कुपुत्र हो सकता है, लेकिन मां कभी कुमाता नहीं होती.''संसार में ऐसे कितने उदाहरण हैं जहां माता-पिता के हाथों संतान की हत्या हो गई. पशु भी अपने बच्चों को स्नेह करते हैं. लेकिन वो प्यार नहीं मोह का जाल है.' 'मोह तो केवल एक स्वार्थ है. और जब तक मोह रहता है, तब तक प्रेम नहीं हो सकता. प्रेम के लिए मोह का त्याग एक अनिवार्य शर्त है.''जो लोग ईश्वर से बिना किसी वजह के प्रेम करत हैं, वो असली प्रेम है. क्योंकि उसमें किसी तरह का मोह नहीं छिपा होता है

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