फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म 'हम देखेंगे' पर क्या बोलीं उनकी बेटी: प्रेस रिव्यू
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की बेटी सलीमा हाशमी
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म 'हम देखेंग' हिंदू विरोधी है या नहीं यह जानने के लिए आईआईटी कानपुर द्वारा बनाए गए पैनल पर फ़ैज़ की बेटी ने कहा है कि इसे हिंदू विरोधी कहना मज़ाक़िया है.के अनुसार, पेंटर एवं सामाजिक कार्यकर्ता सलीमा हाशमी ने कहा कि उनकी पिता वही लिखते थे जो लोग ख़ुद अभिव्यक्त करना चाहते थे. उन्होंने कहा,"यह दुखी करने वाला नहीं बल्कि फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की 'हम देखेंगे' को हिंदू विरोधी कहना मज़ाक़िया है. एक समूह इस नज़्म के संदेश की जाँच कर रहा है जो दुखी करने वाला नहीं है. इसको दूसरे तरीक़े से भी देखा जाना चाहिए कि शायद उनकी उर्दू शायरी और इसके रूपकों में दिलचस्पी पैदा हो जाए. फ़ैज़ की ताक़त को कम मत समझिए."उन्होंने कहा कि उन्हें ख़ुशी है कि इस नज़्म के ज़रिए उनके पिता क़ब्र के बाहर लोगों से बात कर रहे हैं.
सलीमा कहती हैं,"यह चौंकाने वाला नहीं है कि फ़ैज़ सीमा के इधर या उधर अभी भी प्रासंगिक बने हुए हैं. कुछ सालों पहले मुझे बताया गया था कि नेपाल में राजशाही के ख़िलाफ़ लोकतंत्र की लड़ाई के दौरान ये नज़्म गाई गई थी."
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