फ़्रांस में वामपंथियों और मध्यमार्गी गठबंधनों के लिए यह राहत की बात हो सकती है कि धुर दक्षिणपंथी गठबंधन तीसरे नंबर पर है लेकिन उनके लिए एक निराशा भी है कि सबसे बड़े दल के रूप में दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली ही उभरी है.
फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने समय से पहले चुनाव कराने का फ़ैसला किया था लेकिन नतीजे उनके पक्ष में नहीं आएपहले चरण में नेशनल रैली को सफलता मिली थी. मगर जब दूसरे चरण के मतदान की बारी आई तो लोगों का रुख़ अलग दिखा. ऐसा राष्ट्रपति चुनाव में भी हुआ था.
ऐसा दो कारणों से हुआ. पहला- मतदाताओं का बड़ी संख्या में वोट डालना, दूसरा- नेशनल रैली को रोकने के लिए दूसरी पार्टियों का गठबंधन.नरेंद्र मोदी का रूस दौरा पश्चिम के लिए क्या मायने रखता है?ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में कट्टरपंथी के बदले सुधारवादी को कैसे मिली जीतफ़्रांस की दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेनदक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन का कहना है, ''वामपंथी दलों ने अचानक से अपने सारे मतभेद भुलाकर एक नया एंटी-नेशनल रैली गठबंधन बना लिया. मैक्रों समर्थक और वामपंथी भी अपने बीच के मतभेद भूल गए.
अब जब कोई भी पार्टी बहुमत में नहीं है. इस वजह से नया गठबंधन बनाने के लिए लंबे समय तक मध्य-दक्षिणपंथी पार्टियों से लेकर वामपंथी पार्टियों के बीच सौदेबाज़ी चल सकती है.लेकिन हम ये शर्तिया कह सकते हैं कि पिछले हफ़्ते जिस तरह से अशांति और तनाव दिखा, उसके बाद राष्ट्रपति मैक्रों कुछ वक़्त चाहेंगे. इस अवधि में वो सुलह-समझौते को महत्व देंगे.
क्या ये कोई वामपंथी पार्टी से होगा या दक्षिणपंथी पार्टी से? या ये कोई राजनीति से बाहर का व्यक्ति होगा? हम नहीं जानते.अगर मैक्रों किसी मध्यमार्गी को प्रधानमंत्री पद पर बैठाने में सफल हो जाते हैं तो वो व्यक्ति अपने अधिकार का इस्तेमाल करेगा और संसदीय समर्थन के आधार पर सत्ता चलाएगा.फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों अब भी फ़्रांस की सियासत के अहम खिलाड़ी बने हुए हैं
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