यह लेख 90 के दशक के अंडरवर्ल्ड के एक विख्यात अपराधी, फिरोज कोंकणी के इतिहास की जांच करता है। यह उनके अपराध संगठन, हिंसक गतिविधियों, और मुंबई में 1993 के दंगे में उनके कथित भूमिका का विश्लेषण करता है।
जब 90 के दशक के अंडरवर्ल्ड की बात होती है तो दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन, अरूण गवली, अश्विन नाईक और अबू सलेम जैसे डॉन का ज़िक्र होता है। इन नामों के अलावा भी अपराध की काली दुनिया के कई ऐसे नाम रहे हैं जिन्होंने अपने नाम की दहशत पैदा की और जिनकी ज़िंदगी में बड़े नाटकीय घटनाक्रम हुए। ऐसा ही एक नाम है फिरोज कोंकणी । डी कंपनी के कोंकणी ने न केवल बीजेपी के एक दिग्गज नेता की हत्या की थी बल्कि जनवरी 1993 में मुंबई में दूसरे चरण के दंगे शुरू करने में भी बड़ी भूमिका निभाई थी। फिरोज कोंकणी की ज़िंदगी का
इतिहास काफी दिलचस्प है। फिरोज कोंकणी का जन्म महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव में हुआ था। बचपन से ही उनका स्वभाव गुस्सैल और हिंसक था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमज़ोर थी और उन्हें बचपन से ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अपने जीवन का सफ़र शुरू करते समय, कोंकणी ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। धीरे-धीरे, उन्होंने अपनी दलाली और संगठन कौशल का उपयोग करके अपराध गिरोह में तेजी से आगे बढ़ना शुरू कर दिया। कोकणी ने समय के साथ अपने अपराध संगठन का विस्तार किया और उन्हें मुंबई के अपराध जगत में एक प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में जाना जाने लगा। उनकी संगठित अपराध गतिविधियों ने मुंबई की कानून व्यवस्था को ठेस पहुंचाई, और वे विभिन्न अपराधों, जैसे कि हत्या, extortion और drug trafficking में शामिल थे।कोकणी के अपराध संगठन के दायरे में कई दुर्व्यवहार और हिंसा से लैस घटनाएं शामिल थीं। उनके खिलाफ कई आरोप लगे थे, लेकिन उनका संगठित नेटवर्क और प्रभाव उन्हें बचने में मदद करता था। फिरोज कोंकणी का नाम बीजेपी के एक बुजुर्ग नेता की हत्या के साथ जुड़ा है, जो उनके अपराधिक चरित्र को और अधिक उजागर करता है। उन्होंने मुंबई में 1993 के दंगे में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिससे शहर में व्यापक विनाश और अशांति फैल गई थी
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