बंगाल के तर्ज पर तांत्रिक विधि से होती है यहां मां दक्षिणेश्वर काली की पूजा अर्चना, दी जाती है बकरे की बलि

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बंगाल के तर्ज पर तांत्रिक विधि से होती है यहां मां दक्षिणेश्वर काली की पूजा अर्चना, दी जाती है बकरे की बलि
Kali Puja On DiwaliMaa Kali Mandir In Biharबिहार में दक्षिणेश्वर काली मंदिर
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बिहार के लछुआड़ में कोलकाता के जैसा दक्षिणेश्वर काली मां का मंदिर है और यहां हर साल दीपावली की अर्द्धरात्रि मां काली की पूजा की जाती है और 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि यहां मां काली को प्रसन्‍न करने के लिए बकरे की बलि भी दी जाती हैं। इस मंदिर की और क्‍या खास बातें हैं, आइए जानते हैं इस बारे में विस्‍तार...

विभूति भूषण, जमुईजिले के सिकंदरा प्रखंड के लछुआड़ स्थित मां दक्षिणेश्वर काली की पूजा अर्चना विगत 200 वर्षों से भी अधिक समय से तांत्रिक विधि से होती चली आ रही है। प्रत्येक वर्ष दीपावली के अर्धरात्रि में प्रतिमा स्थापित करके तांत्रिक विधि से पूजा अर्चना की जाती है। इस जगह पर प्राचीन गिद्धौर राजवंश के तत्कालीन राजा महाराजा चंद्रचूड़ सिंह ने पूजा अर्चना प्रारंभ की थी। उसे समय मां काली को भैंसा की बलि दी जाती थी। वर्ष 1996 में गिद्धौर रियासत के अंतिम शासक महाराजा प्रताप सिंह ने इस मंदिर में पूजा...

पकाकर भोग स्वरूप अर्पित किया जाता है। इस स्थल पर स्थापित होने वाली मां काली के प्रतिमा का स्वरूप अन्य जगह की अपेक्षा काफी उग्र होता है। इस मंदिर में मां काली की प्रतिमा की स्थापना के लिए देवघर के पुरोहित द्वारा विगत चार पीढ़ी से पूजा अर्चना की जा रही है। मंदिर के समीप प्रतिमा स्थापना से लेकर तीन दिनों तक बहुत ही भव्य मेला लगता है। ऐसी मान्यता है कि यहां काली पूजा के अवसर पर दक्षिण बिहार का सबसे भव्य मेला लगता है। इस मंदिर के समीप आज भी प्राचीन गिद्धौर रियासत का किला मौजूद है, जो इसकी भव्यता की...

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