Rice Farming: यूपी में धान की रोपाई के बाद उसमें 50 दिन के अंदर कल्ले निकलने लगते हैं. इन कल्लों को रोगों से बचाने के लिए किसान अपने खेतों में दवाई का छिड़काव करते हैं. जिससे फसल में रोग न लगे और अधिक पैदावार हो.
लखीमपुर खीरी: धान की रोपाई के 25-50 दिन के दौरान धान की फसल में कल्ले निकलने लगते हैं. ये वही समय है, जब धान के पौधों को सबसे ज्यादा पोषण की जरूरत होती है. इस दौरान धान के खेत में किसान अंतिम खाद का प्रयोग रहे होते हैं. जिससे उनकी फसल बिना रोग लगे तैयार हो सके.
धान के पौधों को रोगों और तनाव से बचाता है. यह मिट्टी में कैल्शियम और बोरॉन की उपलब्धता बढ़ाता है. इसीलिए किसान अपने खेत में अंतिम खाद के साथ उत्पादन क्षमता को बढ़ाने वाली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनके फसल की पैदावार अधिक हो सके. जानें धान की अधिक पैदावार बढ़ाने वाली प्रजाति वहीं, अभय प्रकाश बाजपेयी ने जानकारी देते हुए बताया की धान की प्रजाति PR 113 धान की बेस्ट प्रजाति मानी जाती है. जहां 1 एकड़ में किसान करीब 25 कुंतल से लेकर 30 कुंतल तक धान की पैदावार करते हैं.
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