मौसम परिवर्तन और भूस्खलन की बढ़ती घटनाओं लेकर लोकल 18 ने गढ़वाल विश्वविद्यालय के भू-गर्भ वैज्ञानिक प्रो. एमपीएस से बातचीत की उन्होंने बताया कि कि उत्तराखंड और हिमाचल जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में पिछले दो वर्षों से भूस्खलन की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं.
श्रीनगर गढ़वाल. इस साल देश के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश देखने को मिली है. हालांकि, उत्तराखंड में सबसे अधिक बारिश 13 से 15 सितंबर के बीच हुई है. मौसम विभाग के अनुसार, इन तीन दिनों में औसतन 102 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से अधिक थी. इसके अलावा, हिमालयी क्षेत्र में बारिश के पैटर्न में भी बदलाव देखा गया है. जो बारिश जून से जुलाई के महीनों में होनी चाहिए थी, वह अब सितंबर में हो रही है. इस बार उत्तराखंड पर बारिश का कहर विशेष रूप से अधिक रहा.
इसका प्रमुख कारण बारिश के पैटर्न में बदलाव और मानव द्वारा किया जा रहा अंधाधुंध विकास है . पहाड़ों में भूस्खलन का कारण प्रो. बिष्ट बताते हैं कि बारिश के अनियमित होने के कारण कहीं भी और कभी भी बरसात हो रही है, जिससे हिमालय क्षेत्र में पहाड़ और मिट्टी के नाजुक हिस्सों में भूस्खलन हो जाता है. ज्यादातर भूस्खलन उन स्थानों पर हो रहे हैं जहां अंधाधुंध निर्माण कार्य या सड़क निर्माण किया गया है.
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