सुमित्रा रानी साहा को 3 जनवरी, 2025 को 40 साल के इंतजार के बाद भारत की नागरिकता मिली.
एक घंटा पहले 'अब मेरा सिर ऊंचा हो गया है. हम भी आप लोगों (भारतीयों) के बराबर हो गए. पहले बैंक का अकाउंट नहीं था. राशन कार्ड नहीं था. 40 साल तक डरे-डरे रहे. लेकिन, अब हमको भी भारतवासी जैसी सारी सुविधा मिलेगी.'61 साल की सुमित्रा रानी साहा ने मुझसे कही. हमारी तीन घंटे की मुलाक़ात में उन्होंने यह बात कई बार दोहराई. उनकी आंखें खुशी में बरसने को बेताब दिख रही थी.3 जनवरी, 2025 यानी वो दिन जब सुमित्रा को 40 साल के लंबे इंतज़ार के बाद भारत की नागरिकता मिल गई.
नटी बिनोदिनी कौन थीं जिनके नाम से अब जाना जाएगा कोलकाता का मशहूर स्टार थिएटरलॉस एंजेलिस में आग लगने से पहले और बाद का मंज़र, सैटेलाइट से ली गईं तस्वीरें Play video, 'बांग्लादेश से 40 साल पहले आईं सुमित्रा को कैसे मिली भारतीय नागरिकता?- ग्राउंड रिपोर्ट', अवधि 5,24बांग्लादेश से 40 साल पहले आईं सुमित्रा को कैसे मिली भारतीय नागरिकता?- ग्राउंड रिपोर्टबिहार के आरा शहर के टाउन थाना के पास स्थित उनकी इलेक्टॉनिक सामान की दुकान है. जब से सुमित्रा को भारतीय नागरिकता मिली है, तभी से वहां मीडिया वालों की भीड़ लगी है. सुमित्रा की बेटी ऐश्वर्या प्रसाद कहती हैं, 'सारे मीडिया वाले आ रहे हैं. इस ठंड में हम लोग परेशान हो गए हैं, सबको इंटरव्यू देते-देते.'शारदा सिन्हा: 'बिहार कोकिला' का 72 साल की उम्र में निधनसुमित्रा रानी साहा बचपन में बांग्लादेश चली गई थीं. फ़िर उनकी शादी हुई तो वो भारत आ गईं.सुमित्रा के पहले भारतीय, फिर बांग्लादेशी और अब दोबारा भारतीय बनने की कहानी कुछ इस तरह है.पिता मदन गोपाल चौधरी के चार बच्चे थे. मदन गोपाल चौधरी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और बांग्लादेश के राजशाही में रहने वाली उनकी बहन रुक्मिणी देवी की कोई औलाद नहीं थी. राजशाही, भारत-बांग्लादेश की सीमा पर स्थित एक शहर है. बिहार के कटिहार से महज 206 किलोमीटर दूर राजशाही को बड़ा व्यावसायिक और शैक्षणिक केन्द्र माना जाता है. सुमित्रा बताती हैं, 'जब मैं पांच साल की थी, तो बुआ मुझे राजशाही ले गई. उस वक्त लगता था कि बुआ के साथ घूमने जा रही हूं. लेकिन, बुआ ने मुझे वहीं पढ़ाया-लिखाया.' 'जब मैं दसवीं में पढ़ रही थी, तो वहां पर हिंदू लड़कियों के साथ अत्याचार हो रहा था. बुआ ने पिताजी को फोन करके कहा कि अब मैं इसे नहीं पढ़ाऊंगी और शादी कर दूंगी.' 'लेकिन, मेरे पिता ने कहा कि मैं इसकी शादी भारत में ही करूंगा. तब तक मेरे सारे कागज़ बांग्लादेश के बन गए थे और मैं भारतीय से बांग्लादेशी नागरिक बन गई थी.'इस तरह सुमित्रा 27 जनवरी 1985 को अपने मूल घर कटिहार वापस आ गई. 10 मार्च 1985 को उनकी शादी बिहार के भोजपुर (आरा) ज़िले के व्यवसायी परमेश्वर प्रसाद से हो गई.बिहार: इन लड़कियों को मौत पर नाचने के लिए बुलाया जाता है3 जनवरी, 2025 को सुमित्रा रानी साहा को भारत की नागरिकता मिल गई. उन्होंने इसके लिए नवंबर 2024 में आवेदन किया था. इस दंपति की तीन बेटियां हुईं, जिनमें से प्रियंका और प्रियदर्शिनी की शादी हो चुकी है. जबकि ऐश्वर्या अविवाहित है और फिलहाल अपनी मां सुमित्रा के साथ आरा शहर में रहती हैं. सुमित्रा की बेटी ऐश्वर्या प्रसाद बताती है, 'बचपन में जब मालूम चला कि मेरी मम्मी बांग्लादेश से आई है, तो स्कूल जाकर बताया. मेरी सारी दोस्तों को लगा कि मेरे पापा ने लव मैरिज की है.' 'स्कूल में जो मेरे दोस्त थे, वो मेरी मम्मी को देखने घर आते थे और उनसे बांग्ला की कहावतें सीखते थे. बहुत एक्साइटमेंट होता था.' सुमित्रा शादी के बाद से ही साल दर साल एंट्री वीज़ा लेकर भारत में रहती रहीं. हालांकि, नियमानुसार वो शादी के सात साल बाद ही नागरिकता ले सकती थीं.धारा 5 (1) (ग) में लिखा है, 'कोई व्यक्ति जो भारत के किसी नागरिक से विवाहित हो और रजिस्ट्रीकरण के लिए आवेदन करने के सात वर्ष पूर्व से भारत में मामूली तौर पर निवासी हो.'इस बारे में पूछने पर सुमित्रा बताती हैं, 'मेरे पति को लगता था कि सब ऐसे ही हो जाएगा. उनकी मृत्यु से पहले कोई दिक्कत आई भी नहीं. इसलिए उन्होंने बहुत दिलचस्पी नहीं ली और सब कुछ ऐसे ही चलता रहा.'यह तस्वीर 19 जुलाई 2020 की है, जब पटना में लॉकडाउन के दौरान प्रशासन से आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगा दी थी. सुमित्रा को बांग्लादेशी पहचान से जुड़ी दिक्कतें साल 2010 में आनी शुरू हुई, जब उनके पति परमेश्वर प्रसाद की कैंसर से मौत हो गई. सुमित्रा को अब अक्सर अपने रिश्तेदारों के ताने झेलने पड़ते हैं. इन तानों में कहीं ना कहीं ये धमकी भी छुपी थी कि उनकी बांग्लादेशी पहचान को उजागर करके उन्हें वापस भेज दिया जाएगा. जैसा कि सुमित्रा की बेटी ऐश्वर्या प्रसाद बताती हैं, 'पापा जब तक ज़िंदा थे, तब तक कोई बोलता नहीं था. लेकिन, उनकी मृत्यु के बाद से ही मेरी मां को बांग्लादेशी कहा जाने लगा.''ये सब कुछ इसलिए किया जा रहा था, क्योंकि मेरा कोई भाई नहीं है और हमारे पास अच्छी प्रॉपर्टी है.' दरअसल, सुमित्रा रानी साहा की आरा शहर के मुख्य बाजार की चित्रा टोली रोड में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान है. इसी मुख्य बाजार में उनका घर भी है, जिसकी अच्छी कीमत है. साल 2019 तक सब कुछ ऐसे ही चलता रहा. लेकिन, असल परेशानी शुरू हुई कोविड लॉकडाउन के दौरान, जब सुमित्रा का वीज़ा रिन्यू नहीं हुआ. सुमित्रा बताती हैं, 'इस वक्त रिश्तेदार ज़्यादा परेशान करने लगे. पुलिस भी आकर लगातार पूछताछ करती थी और कागज मांगती रहती थी.' 'हमारे पास यहां रहने का कोई अधिकार था नहीं और मेरा वीज़ा रिन्यू भी नहीं हुआ, और पासपोर्ट तो 1986 में ही एक्पायर हो गया था. हम कहां जाएं, ये सोच-सोच कर रोते थे.' 'बांग्लादेश में बुआ तो बहुत पहले गुज़र गई थी. वहां कोई था ही नहीं. उस वक्त सोचते थे कि यहां मेरी शादी क्यों कर दी गई.'लॉकडाउन के बाद इन लोगों ने तीन साल के वीज़ा के लिए आवेदन किया, जो इन्हें 24 जनवरी 2023 से 23 जनवरी 2025 तक मिल गय
भारतीय नागरिकता सुमित्रा रानी साहा बांग्लादेश बिहार आरा
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
CAA के तहत बिहार में पहली नागरिकताबिहार में पहली बार CAA के तहत नागरिकता मिली है. आरा की सुमित्रा प्रसाद को 40 साल बाद नागरिकता मिली है.
और पढो »
CAA के तहत बिहार में पहली बार नागरिकता मिलीआरा की सुमित्रा प्रसाद उर्फ रानी साहा को 40 साल के बाद CAA के तहत नागरिकता मिली है.
और पढो »
बांग्लादेश ने भारत से शेख हसीना का प्रत्यर्पण मांगाबांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से अपनी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का प्रत्यर्पण मांगा है। शेख हसीना 5 अगस्त को आंदोलन के बाद सत्ता से बेदखल होकर भारत भाग गई थीं।
और पढो »
बांग्लादेश संकट से भारत की टूरिज्म इंडस्ट्री पर नकारात्मक प्रभावबांग्लादेश में हालिया घटनाओं ने भारत की टूरिज्म इंडस्ट्री को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, विशेष रूप से बांग्लादेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या में गिरावट के साथ।
और पढो »
बांग्लादेश, पाकिस्तान के सैन्य समझौते से भारत को चिंतापाकिस्तान की सेना बांग्लादेश को ट्रेनिंग देने के समझौते पर हस्ताक्षर करती है, जिससे भारत को चिंता है कि इससे बांग्लादेश में भारत विरोधी विचारधारा फिर से फैल सकती है।
और पढो »
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना भारत आईंबांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने तख्तापलट के बाद भारत में शरण ली है। बांग्लादेश सरकार उनका प्रत्यावर्तन चाहती है, लेकिन भारत के साथ रिश्तों को लेकर सावधानी बरत रहा है।
और पढो »