बांग्लादेश की अंतरिम सरकार तीस्ता नदी पर बहुउद्देशीय परियोजना में चीन को शामिल करने की तैयारी कर रही है। यह फैसला भारत के लिए एक गंभीर खतरा माना जा रहा है क्योंकि यह रणनीतिक सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास स्थित है।
बांग्लादेश भारत को अब तक का सबसे बड़ा झटका देने की तैयारी कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, मोहम्मद यूनुस का प्रशासन तीस्ता प्रोजेक्ट में चीन को शामिल कर सकता है। जो भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे पैदा कर सकता है। टेलीग्राफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश, तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन पर प्रस्तावित बहुउद्देशीय परियोजना में चीन को शामिल कर सकता है। इसके लिए यूनुस प्रशासन ने सहमति बनाने के सार्वजनिक सुनवाई का रास्ता अपनाया है। यह नदी सिक्किम से निकलती है और हिमालयी राज्य और उत्तरी
बंगाल के कुछ हिस्सों में लगभग 305 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बांग्लादेश में प्रवेश करती है। भारत और बांग्लादेश में तीस्ता प्रोजेक्ट को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है लेकिन शेख हसीना की सरकार ने चीन को इस प्रोजेक्ट से दूर रखा था। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को उत्तरी बांग्लादेश के एक जिले रंगपुर के प्रशासन ने कावनिया में 'तीस्ता नीये कोरोनियो (तीस्ता के साथ क्या किया जाए)' पर एक सार्वजनिक सुनवाई की है। बांग्लादेशी मीडिया ने सुनवाई में सईदा रिजवाना हसन के हवाले से कहा है कि 'चीनी सरकार ने पहले नदी के संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक मास्टर प्लान बनाया था। हम उनके साथ बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए दो साल का समय मांगा है। हमने उन्हें दो साल देने पर सहमति जताई है और एक शर्त भी जोड़ी है, कि मास्टर प्लान को तीस्ता के तट पर रहने वाले लोगों की राय लेने के बाद तैयार किया जाना चाहिए।”तीस्ता पर भारत-बांग्लादेश में नया विवाद सईदा रिजवाना हसन, बांग्लादेश की पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन और जल संसाधन मंत्रालय की सलाहकार हैं। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट को लेकर दूसरी शर्त ये रखी गई है कि करीब 1 अरब डॉलर की लागत की ये परियोजना, जिसमें नदी की ड्रेजिंग, जलाशयों का निर्माण, नदी के किनारे जल निकासी प्रणाली और तीस्ता के दोनों किनारों पर तटबंधों और सैटेलाइट टाउनशिप का निर्माण शामिल है, ये तमाम काम दिसंबर 2025 तक पूरी हो जानी चाहिए। आपको बता दें कि तीस्ता जल को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के चलते ये प्रोजेक्ट 2011 से अटका हुआ है। इसीलिए चीन ने चार साल पहले इस क्षेत्र में प्रवेश किया था और अपना प्रस्ताव रखा था।पिछले साल जब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत दौरे पर आईं थी, उस वक्त चीन को रोकने को लेकर भारत ने उनके सामने इस प्रोजेक्ट को लेकर अपनी परेशानियां उनके सामने रखी थी। इस दौरान शेख हसीना सरकार के साथ एक समझौता हुआ था। जिसके तहत भारत ने इस प्रोजेक्ट को लेकर एक टेक्निकल टीम को ढाका भेजने का प्रस्ताव रखा था। वहीं, पिछले साल जुलाई में भारत यात्रा के दौरान शेख हसीना ने इस प्रोजेक्ट में भारत को प्राथमिकता देने की बात कही थी। उन्होंने इसके पीछे तीस्ता नदी के भारत से निकलने का हवाला दिया था। लेकिन शेख हसीना की सरकार पिछले साल अगस्त में गिर गई और उन्हें भागकर भारत आना पड़ा। शेख हसीना सरकार के पतन के बाद मोहम्मद यूनुस की नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने भारत विरोधी रूख अपनाया है। अगर चीन को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया जाता है तो भारत की इससे परेशानी बढ़ेगी। भारत की नेशनल सिक्योरिटी के लिए खतरा? टेलीग्राफ की रिपोर्ट में बालुरघाट स्थित नदी विशेषज्ञ तुहिन सुभ्रा मंडल ने कहा कि 'बिल्कुल साफ है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार इस प्रोजेक्ट में चीन को शामिल करने का रास्ता साफ कर रही है और इसके लिए सार्वजनिक सुनवाई मंच का रास्ता अपनाया गया है।' वहीं, सिलीगुड़ी में रहने वाले एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने कहा कि तीस्ता से संबंधित परियोजना में चीन को शामिल करने का फैसला एक बड़ी सुरक्षा चिंता का विषय होगा। उन्होंने कहा कि जिस स्थान (कूचबिहार के मेखलीगंज के पास) से नदी भारत से बांग्लादेश में प्रवेश करती है, वह रणनीतिक सिलीगुड़ी कॉरिडोर से सिर्फ 100 किलोमीटर की दूरी पर है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर को भारत का चिकेन नेक कहा जाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे पतला हिस्सा है जो नेपाल और बांग्लादेश के बीच स्थित है और पूरे पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। सैन्य अधिकारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि बांग्लादेश हमारे लिए और मुश्किलें पैदा करना चाहता है। बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रंगपुर, लालमोनिरहाट, गैबांधा, कुरीग्राम और निलफामारी जैसे जिलों में रहने वाले सैकड़ों लोग, जो तीस्ता के किनारे हैं, वो इस जन सुनवाई में शामिल हुए थे।आपके लिए ये भी जाानना जरूरी है कि जलपाईगुड़ी जिले के गजोल्डोबा में स्थित और सिलीगुड़ी से करीब 25 किलोमीटर दूर तीस्ता बैराज, तीस्ता नदी पर बना आखिरी बांध है, जहां से पानी नीचे की ओर छोड़ा जाता है। यहां से पानी जलपाईगुड़ी और कूच बिहार जिले के कुछ हिस्सों से होकर बांग्लादेश में प्रवेश करता है। बांग्लादेश के ग्रामीण विकास और सहकारिता, तथा युवा और खेल मामलों के सलाहकार आसिफ महमूद साजिब भुइयां ने कहा, कि ढाका भी कम पानी वाले महीनों में बैराज से पानी छोड़ने के लिए भारत पर दबाव बनाने के लिए कूटनीतिक चैनलों का उपयोग करना चाहता है
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