बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद अवामी लीग के कई शीर्ष नेता भारत भाग कर आ गए हैं. बीबीसी बांग्ला को पता चला है कि कोलकाता और उसके आस-पास के इलाकों के अलावा कई नेता उत्तर बंगाल के विभिन्न स्थानों, दिल्ली और त्रिपुरा में किराए के मकान में रह रहे हैं.
मैं सर्दियों की एक शाम कोलकाता के उपनगर में बांग्लादेश के एक पूर्व सांसद के साथ बातचीत करने के लिए उनकी कार में सफर कर रहा था.
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ और भारत के विकसित राष्ट्र बनने की संभावना पर हरदीप सिंह पुरी ने बीबीसी से क्या कहाअवैध प्रवासियों को अमेरिका से हथकड़ियां और बेड़ियां पहनाकर वापस भारत भेजने पर क्या कहते हैं जानकारबांग्लादेश में बीते साल पांच अगस्त को हुए सत्ता के बदलाव में अवामी लीग सरकार के पतन के बाद पार्टी के कई वरिष्ठ और अन्य नेता चोरी-छिपे भाग कर भारत आ गए थे. लेकिन पार्टी के नेता इसे अस्थायी तौर पर भूमिगत रहने के तौर पर देखते हैं.
पार्टी के संयुक्त सचिव एएफ़एम बहाउद्दीन नसीम कहते हैं, "इसके लिए पलायन शब्द का इस्तेमाल करना सही नहीं है. हम रणनीतिक वजहों से अस्थायी रूप से छिप कर रह रहे हैं. दरअसल इस अशुभ ताकत का एकमात्र लक्ष्य अवामी लीग, स्वाधीन सोच में विश्वास रखने वाले लोगों और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमला करना और उनको देश छोड़ने के लिए मजबूर करना है."
बाकियों में सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, अवामी लीग के कई जिला अध्यक्ष-सचिव, जिला परिषद के अध्यक्ष, मेयर और अवामी लीग से जुड़े संगठनों के शीर्ष नेता शामिल हैं. बीबीसी को सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया सूत्रों से पहले ही पता चला था कि पांच अगस्त के बाद अगले कुछ दिनों के दौरान अवामी लीग के कई नेता मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के उत्तरी इलाके यानी उत्तर बंगाल से सटी सीमा पार कर ही भारत पहुंचे थे.
अवामी लीग के संयुक्त सचिव बहाउद्दीन नसीम ने 10 अगस्त को देश छोड़ा था. लेकिन इससे पहले वो भूमिगत होकर रह रहे थे. अवामी लीग के संयुक्त सचिव बहाउद्दीन नसीम कहते हैं, "कोई अन्य विकल्प नहीं होने के कारण शेख़ हसीना मजबूरी में भारत आईं थीं. उनके ख़िलाफ़ साजिश रचने वाली ताकतों ने उनको ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था. इसके अलावा भारत हमारा नजदीकी पड़ोसी और मित्र देश है. हमारे देश से बहुत कम समय में यहां पहुंचकर रहा जा सकता है."
बांग्लादेश के पूर्व विदेश मंत्री हसन महमूद बीबीसी बांग्ला से कहते हैं, "मौजूदा डिजिटल दौर में यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कौन कहां रह रहा है. डिजिटल संपर्क इतना बेहतर हो गया है कि एक साथ दुनिया भर में फैले लोगों के साथ बात की जा सकती है." इनमें उप जिला, जिला और राष्ट्रीय स्तर पर सहयोगी संगठनों के ग्रुप के साथ अवामी लीग से संबंध नहीं रखने वालों लोगों के लिए भी ग्रुप हैं. उस ग्रुप में बांग्लादेश में रह रहे नेता और कार्यकर्ता पोस्ट करते हैं, साथ ही भूमिगत तौर पर रहने वाले नेताओं के दिशानिर्देश भी उसी ग्रुप में भेजे जाते हैं.
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