भारत सरकार ने विजय दिवस पर 1971 की पाकिस्तान पर विजय का जश्न मनाया। बांग्लादेश की सरकार के एक सलाहकार ने इस पर आपत्ति जताई है।
नई दिल्ली : विजय दिवस । गर्व का दिन। 1971 के जंग में पाकिस्तान पर भारत की ऐतिहासिक जीत का यादगार। 16 दिसंबर 1971 को भारत ीय समयानुसार शाम साढ़े 4 बजे के करीब पाकिस्तान के 93000 सैनिकों ने इंडियन आर्मी के सामने हथियार डाले थे। भारत के शौर्य गाथा का नया इतिहास रचा गया था। भूगोल बदला गया था। पूर्वी पाकिस्तान के तौर पर जाना जाने वाला पाकिस्तान का हिस्सा बांग्लादेश नाम के एक स्वतंत्र देश का जन्म हुआ। विडंबना देखिए, जिस देश का जन्म भारत की वजह से हुआ, जिसे साकार करने के लिए साढ़े 3 हजार से ज्यादा
भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की आहूति दी, करीब 10 हजार सैनिक जख्मी हुए, उस बांग्लादेश की सरकार के एक सलाहकार को उसी भारत से आपत्ति है। आपत्ति इस बात पर कि विजय दिवस क्यों मनाया जा रहा। आपत्ति इस बात पर कि पीएम मोदी ने विजय दिवस पर भारत के जांबाजों को याद क्यों किया। कुतर्क ये कि 1971 की जीत बांग्लादेश की थी, भारत उसमें सिर्फ एक सहयोगी था। झूठलाने से सच नहीं बदलताबांग्लादेश में कट्टरपंथियों की कठपुतली सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरुल के कुतर्क पर हंसी ही आएगी। लेकिन इस बात पर रोना भी आएगा कि बांग्लादेश को आखिर ये हो क्या गया? क्या बांग्लादेश की आजादी के लिए बलिदान देने वालों ने सपने में भी सोचा होगा कि कुछ ही दशक बाद ऐसा भी दिन आ जाएगा जब उनका देश अपने ही नायकों को भूल जाएगा? अपने ही अतीत को नकारेगा। इतिहास को झूठलाएगा। अपने ही संस्थापक की मूर्ति को गिराकर जश्न मनाएगा। लेकिन अब ये हकीकत है। कट्टरपंथियों का ऐसा बोलबाला ही हो गया है। खैर जिनको अपने ही पुरखों की कदर नहीं, अपने ही इतिहास की कद्र नहीं तो वे दोस्ती या फिर कृतज्ञता जैसे भाव की क्या की कद्र करेंगे। एक बार खुद का इतिहास तो पढ़ लेते नजरुल! नजरुल को अगर अपना इतिहास याद नहीं, तो उन्हें पढ़ना चाहिए। कैसे 1947 में भारत के टुकड़े हुए। देश दो हिस्सों में बंट गया- एक भारत तो दूसरा पाकिस्तान। दो हिस्सों क्या, भौगोलिक रूप से तीन हिस्सों में बंट गया। भारत के दोनों तरफ पाकिस्तान। एक पश्चिमी पाकिस्तान तो एक पूर्वी पाकिस्तान। लेकिन वजूद में आने के बाद से ही पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान में रह रहे अपने लोगों का उत्पीड़न शुरू कर दिया। वहां भी बहुसंख्यक 85 प्रतिशत आबादी मुस्लिम ही थी लेकिन भाषा के आधार पर उनसे भेदभाव शुरू हुआ। बंगाली भाष
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