अब किसानों को बाढ़ से होने वाली फसलों के नुकसान की चिंता करने की जरूरत नहीं है. क्योंकि अब बाढ़ वाले क्षेत्र में इन धान की किस्म की बुवाई कर अच्छी फसल ले सकते हैं.
संजय यादव/ बाराबंकी:उत्तर प्रदेश में धान की खेती किसान बड़े स्तर पर करते हैं, लेकिन कई राज्यों में हर साल बाढ़ की वजह से लाखों हेक्टेयर में लगी धान की फसल बर्बाद हो जाती है. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है. लेकिन क्योंकि सब-1 धान की फसल दो हफ्तों तक पानी में डूब जाने के बावजूद भी खराब नहीं होती है. हालांकि एक हफ्ते तक लागातार पानी में डूबे रहने के बाद इसकी पत्तियो का रंग बदल जाता हैं. फिर भी फसल को नुकसान नहीं पहुंचता है.
जिन इलाकों में अधिक बारिश व बाढ़ का खतरा रहता है, वहां पर किसान स्वर्णा सब-1 सांभा सब- 1 जैसे धान की खेती कर सकते हैं कृषि उपनिदेशक श्रवण कुमार ने बताया हमारे यहां रामनगर रामसनेहीघाट का जो एरिया है, वहां हर साल बाढ़ आती है. जिससे सैकड़ो गांव प्रभावित होते हैं. वहां के लिए धान की यह किस्म बेहद फायदे वाली है. स्वर्णा सब-1 सांभा सब- 1 धान की ये किस्मंे 140 से 145 दिन में तैयार हो जाती हैं. इसकी उत्पादन क्षमता भी बेहद अच्छी है. इसका 40 से 45 कुंतल उत्पादन मिल जाता है.
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