Pashchim Champaran News : आलू की फसल में मुख्य रूप से झुलसा रोग (ब्लाइट) और भूमिगत कीटों का प्रकोप देखा जाता है. झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए मैन्कोजेब या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जा सकता है.
पश्चिम चम्पारण सहित बिहार के ज्यादातर जिलों में आलू की खेती बड़े स्तर पर की जाती है. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो आलू की बुवाई का सही समय भी शुरू हो रहा है. ऐसे में उत्तम किस्म तथा बेहतर फलन के लिए वैज्ञानिकों ने कुछ बेहद ही सटीक एवं प्रमाणित जानकारी साझा की है. जिसके अनुसरण से किसानों को आलू की खेती में बेहतर लाभ मिल सकता है. जिले के माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत, प्रमुख वैज्ञानिक डॉ.
वैज्ञानिकों की मानें तो, बिहार क्षेत्र के लिए आलू की कई उन्नत किस्में अनुशंसित की गई हैं, जो कि रोग प्रतिरोधक और अच्छी पैदावार देने वाली हैं. इनमें कुफरी सिन्धुरी, कुफरी चंद्रमुखी, राजेंद्र आलू 01, राजेंद्र आलू 03, फुकरी चिप्सोना इत्यादि शामिल हैं. बता दें कि आलू की फुकरी सिन्धुरी किस्म लाल रंग के आलू उत्पादन के लिए उपयुक्त है.इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 350 क्विंटल तक आलू का उत्पादन हो सकता है. ठीक इसी प्रकार आलू की कुफरी चंद्रमुखी किस्म कंद सफेद रंग की होती है.
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