जर्मनी में मौजूदा गठबंधन के अल्पमत में आने के बाद चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और उनके मंत्रिमंडल पर खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को सुधारने का भारी दबाव है.
जर्मनी में शॉल्त्स सरकार के गठन के बाद से देश की अर्थव्यवस्था लगातार नीचे गई हैकी सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार अल्पमत में आ गई है. सोशल डेमोक्रेट्स , ग्रीन्स और फ्री डेमोक्रैट्स के गठबंधन के बीच विवाद तब और साफ हो गया, जब चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने वित्त मंत्री क्रिस्टियान लिंडनर को बर्खास्त कर दिया. उनके इस फैसले से बाकी उदारवादी नाराज हो गए और कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.
लिंडनर ने उस फैसले का भी विरोध किया था, जिसके तहत 2025 के संघीय बजट में लगभग 10 बिलियन यूरो की कमी को पूरा करने के लिए ज्यादा उधार लेने पर संवैधानिक प्रतिबंध को निलंबित करने की बात कही गई थी. उन्होंने जर्मनी के जलवायु कोष को भी भंग करने का प्रस्ताव दिया था, जिसके जरिए सरकार हरित परियोजनाओं के लिए फंड जुटाती है.
ज्यादातर व्यवसाय दबाव में हैं. वे बिक्री में गिरावट, टैक्स और ऊर्चा की ऊंची कीमतों और जर्मन नौकरशाही से परेशान हैं. उदाहरण के लिए जर्मनी की इंजीनियरिंग कंपनी बॉश को साल 2024 के लिए तय लक्ष्यों में बदलाव करना पड़ा. 7,000 कर्मचारियों की छंटनी के अलावा अभी और लोगों को निकालने पर विचार किया जा सकता है.कंपनी के सीईओ श्टेफान हारटुंग ने मौजूदा सरकार से अपने आपसी विवाद खत्म कर उद्योगों को समर्थन देने का आग्रह किया है.
ग्रीन पार्टी के वाइस चांसलर और अर्थव्यवस्था मंत्री रोबर्ट हाबेक ने गठबंधन के टूटने के बाद एक बयान जारी करते हुए कहा,"यह सरकार के विफल होने के लिहाज से सबसे बुरा समय है." उन्होंने कहा,"यह ऐसे दिन पर होना और भी दुःखद है जब जर्मनी को यूरोप में एकजुटता का प्रदर्शन करने की जरूरत है."आईएनजी के मुख्य अर्थशास्त्री कार्स्टन ब्रेस्की का मानना है कि जर्मनी 2016 में ट्रंप की पहली जीत के बाद की तुलना में इस बार"कम तैयार" है.
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