बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी लड़की का एक बार पीछा करना उसके पीछे पड़ना यानी 'स्टॉकिंग' नहीं माना जाएगा। यह घटना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354-डी के तहत पीछे पड़ने का अपराध नहीं माना जा सकता।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी लड़की का एक बार पीछा करना उसके पीछे पड़ना यानी ‘ स्टॉकिंग ’ नहीं माना जाएगा। यह घटना भारतीय दंड संहिता ( आईपीसी ) की धारा 354-डी के तहत पीछे पड़ने का अपराध नहीं माना जा सकता। अदालत ने जोर देकर कहा कि इस अपराध को तभी माना जा सकता है, जब किसी शख्स ने बार-बार या लगातार पीछा किया हो। यह फैसला 19 साल के दो आरोपियों द्वारा दायर अपीलों पर आया, जिन्होंने आईपीसी और पॉक्सो एक्ट के तहत विभिन्न अपराधों में अपनी सजा को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने उनकी अपीलों को आंशिक रूप से
स्वीकार करते हुए कुछ आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन अन्य अपराधों के लिए सजा बरकरार रखी। यह है पूरा मामला यह मामला महाराष्ट्र के अकोला जिले की 14 वर्षीय लड़की के उत्पीड़न से जुड़ा है। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने उसे कई महीनों तक परेशान किया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, एक आरोपी ने अगस्त 2020 में पीड़िता के घर में जबरदस्ती प्रवेश किया था। बाद में उसके साथ छेड़छाड़ की और मामले की जानकारी देने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी। घटना के वक्त पीड़िता की छोटी बहन भी घर में मौजूद थी, जिसने इन घटनाओं की पुष्टि की थी। इन धाराओं के तहत दोषी निचली अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 354 (महिला की मर्यादा भंग करना), 354-डी (पीछा करना), 452 (गृह-अतिक्रमण) और 506 (आपराधिक धमकी) के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट की धाराओं सात और 11 के तहत दोषी ठहराते हुए तीन से सात साल तक के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। क्या कहा न्यायाधीश ने? सुनवाई के दौरान जस्टिस सनप ने कहा, 'किसी लड़की का एक बार पीछा किया जाना आईपीसी की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। कानून यह कहता है कि अगर बार-बार या लगातार पीछा किया जाता है तो इसे स्टॉकिंग माना जाएगा।' अपराध को साबित करने के लिए सबूतों की जरूरत समीक्षा के बाद, उच्च न्यायालय ने पाया कि पीछा करने का आरोप केवल एक घटना पर आधारित थ
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