कोटपूतली में बोरवेल में फंसी तीन साल की बच्ची चेतना चौधरी को दस दिन बाद बाहर निकाला गया है। हालांकि रेस्क्यू के बाद बच्ची की मौत हो गई। एनडीआरएफ की टीम ने बोरवेल के समानांतर एक सुरंग खोदकर बच्ची को बाहर निकाला।
कोटपूतली में बोरवेल में फंसी चेतना चौधरी (3) को 170 फीट गहराई से दस दिन बाद बाहर निकाल लिया गया है। हालांकि बच्ची की जान नहीं बचाई जा सकी। एनडीआरएफ की टीम ने बोरवेल के समानांतर एक सुरंग खोदकर बच्ची को बाहर निकाला। एनडीआरएफ राजस्थान के चीफ योगेश मीणा ने कहा कि बच्ची को अचेत अवस्था में निकाला गया है, जब उसे निकाला गया तब शरीर में कोई मूवमेंट नहीं था। बुधवार शाम 6 बजकर 25 मिनट पर तीन साल की चेतना को बोरवेल से बाहर निकाला गया। एनडीआरएफ के जवान महावीर जाट सफेट कपड़े में लपेटकर चेतना को बाहर लेकर आए।
इसके तुरंत बाद चेतना को एंबुलेंस से कोटपूतली के बीडीएम अस्पताल ले जाया गया, जांच के बाद डॉक्टर्स की टीम ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। चेतना 23 दिसंबर को किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी में 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरी थी।बाहर निकालते ही बच्ची को लेकर एनडीआरएफ के जवान एंबुलेंस की तरफ दौड़े और उसे अस्पताल भेजा गया। इससे पहले भी उसे निकालने की 5 से ज्यादा कोशिश फेल हुईं थीं। पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर प्रशासन की प्लानिंग पर भी सवाल उठते रहे। बोरवेल में फंसी चेतना करीब 8 दिन से कोई मूवमेंट नहीं कर रही थी।रेस्क्यू ऑपरेशन करने वाले एनडीआरएफ के जवानों ने बताया कि चेतना की बॉडी मिट्टी के बीच फंसी हुई थी। बोरवेल में घुसने के बाद अंगुली से उसकी बॉडी के आसपास से मिट्टी हटाई और फिर उसे बाहर निकालकर लेकर आए। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कई तरह की दिक्कतें आ रही थीं। पत्थर उछलकर आंखों पर आ रहे थे। सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। लेटकर पत्थर तोड़ने पड़ रहे थे। जहां बच्ची फंसी हुई थी, वहां से बोरवेल मुड़ा हुआ था। बच्ची नीचे जाते-जाते वहां फंस गई।23 दिसंबर, दोपहर 1:50 बजे चेतना चेतना घर के बाहर खोदे गए 700 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई। तीन घंटे बाद एसडीआरएफ टीम ने मौके पर पहुंच कर बच्ची का रेस्क्यू शुरू कर दिया। शाम करीब 7 बजे चेतना का आखिरी बार वीडियो सामने आया था। इसमें वो हाथ हिलाते हुए दिख रही थी। 24 दिसंबर को एनडीआरएफ की टीम चेतना को हुक में फंसाने में कामयाब हो गई। चेतना को 150 फीट से 120 फीट तक उपर खींच लिया। मगर बाहर निकालने में असफल हो गए। रात 11:30 बजे बोरवेल के समानांतर गड्ढा खोदने का काम शुरू हुआ
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