Prayagraj Mahakumbh Barfani Naga Baba Muninder Story Explained; Follow Gujarat Naga Baba Interesting Facts and Updates On Dainik Bhaskar (दैनिक भास्कर) नागा बनते कैसे हैं? नागा संन्यासी खाते क्या हैं? इंद्रियों पर कंट्रोल कैसे कर पाते हैं? इसके अलावा यह भी समझा कि कुंभ में नागा कैसे बनाया जाता है? इस रिपोर्ट में पढ़िए इन सारे सवालों के...
जींस-टीशर्ट पहनने वाला कैसे बना नागा साधु, संन्यासी ने बताई पूरी कहानी‘मैं सामान्य लड़कों की तरह ही था। जींस-टीशर्ट पहनता था। स्कूल जाता था। संन्यास लेने के बारे में तो कभी सोचा भी नहीं था, लेकिन परिवार में कुछ ऐसा हुआ कि अपने ही लोगों से मोह भंग हो गया। वो बेगाने लगने लगे। लगा कि समाज ठीक नहीं है। तब घर से निकलकर संन्यासी बन गया। 12 साल तपस्या की और नागा बन गया।’की टीम ने बर्फानी नागा बाबा मुनिंदर भारतीय से लंबी बातचीत की। नागा संन्यासी से जुड़े हर वो सवाल पूछे, जो आम आदमी के मन में चलते...
तभी हमे जूना अखाड़े के बाहर एक नागा संन्यासी बैठे मिले, जो बेहद शांत थे और हमारी तरफ ही देख रहे थे। हम उनके पास पहुंचे और नाम पूछा। उन्होंने बताया ‘मेरा नाम बर्फानी मुनिंदर भारतीय नागा बाबा है।’हमारे लिए उनका नाम तो सामान्य था, लेकिन नाम के आगे लगी उपमा यानी कि बर्फानी अजीब लगा। हमने पूछा आपने नाम के आगे बर्फानी क्यों लगाया है? मुनिंदर भारतीय ने बताया कि देश के चार स्थलों पर कुंभ लगता है। जिस साधु का जहां नागा संस्कार होता है, उसे वहां के हिसाब से उपाधि दी जाती है। जो साधु प्रयागराज में कुंभ के...
महाकुंभ में अमृत स्नान पर सबसे पहले नागा साधु संगम में डुबकी लगाते हैं। सबसे ज्यादा नागा साधु जूना अखाड़े से जुड़े हैं।हमने अगला सवाल किया कि साधारण व्यक्ति से कैसे संन्यासी बनते हैं और फिर नागा? मुनिंदर भारतीय नागा बाबा ने कहा सबसे पहले तो मन से बैरागी होना पड़ता है। जब किसी आदमी के मन में बैराग आता है तो वो संन्यास की तरफ जाता है। इस दौरान गुरु दीक्षा दी जाती है। हमें गुरु के ही सानिध्य में ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करना पड़ता है। 6 से 12 साल तक की तपस्या के बाद जब कुंभ, अर्द्ध कुंभ या महाकुंभ आता...
मुनिंदर भारतीय नागा बाबा ने बताया कि नागा संन्यासी बनने के 48 घंटे पहले साधु अपने गुरु के साथ कुंभ में जाते हैं। नागा बनने वाले साधुओं को गुरु द्वारा दी गई लंगोटी पहनाकर धर्म ध्वजा के नीचे बैठाया जाता है। हवन और मंत्र उच्चारण लगभग 20 घंटे तक चलता है। उस दौरान मंत्र दिया जाता है जो सिर्फ संन्यासियों के लिए ही होता है। इसके बाद सुबह फिर से गंगा घाट पर ले जाया जाता है। घाट पर मुंडन होता है जहां चोटी गुरु रख लेते हैं। ये आखिरी मौका होता है जब साधु इस पूरे अनुष्ठान से पीछे हट सकते हैं। अगर नहीं हटते तब उन्हें पिंडदान की प्रक्रिया करनी होती है। मुनिंदर भारतीय कहते हैं पहले हम परिवार की बेटियों को छोड़ कर सातों पीढ़ी का पिंड दान करते हैं। 16 पिंड बनाते हैं। फिर 17वां खुद का पिंड दान करना होता...
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