बीएसई सेंसेक्स में पिछले पाँच दिनों में 2290.21 अंक यानी 2.91 फीसदी की गिरावट आई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव की जीत और आरबीआई की रेपो रेट में कटौती से बाजार को उम्मीद की जा रही थी, लेकिन वैश्विक अनिश्चितता और गिरते रुपये ने बाजार को प्रभावित किया है।
भारतीय शेयर बाजार में भूचाल आया है। पिछले पाँच कारोबारी सत्रों से जारी गिरावट में निवेश कों का 16.97 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। बीएसई सेंसेक्स में पिछले पाँच दिनों में 2290.21 अंक यानी 2.91 फीसदी की गिरावट आई है। तीस शेयरों वाला यह इंडेक्स मंगलवार को 1018.20 अंक यानी 1.32 फीसदी भरभराकर दो हफ्तों के निचले स्तर 76,293.60 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,281.
21 अंक तक लुढ़क गया था। अकेले मंगलवार को बाजार में गिरावट से निवेशकों को करीब 9 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत और आरबीआई के रेपो रेट में कटौती से बाजार को ज्यादा फायदा नहीं हुआ। न ही इसके पहले बजट में इनकम टैक्स में बड़ी कटौती से बाजार को ऑक्सीजन मिली। आखिर अब बाजार किस 'संजीवनी' का इंतजार कर रहा है? बाजार को किसका सदमा?दरअसल, असली चिंता अमेरिका से है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन नए टैरिफ लगाने की धमकी दे रहा है। इसके अलावा, गिरता रुपया, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और ऊंचे वैल्यूएशन भी बाजार की धारणा को प्रभावित कर रहे हैं।\दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत बाजार के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा था। लेकिन, बाजार पर इसका ज्यादा असर नहीं दिखा। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज का कहना था, 'दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे बाजार के लिए सकारात्मक होने चाहिए क्योंकि यह केंद्र में गठबंधन सरकार की स्थिरता/सुचारु कामकाज पर किसी भी चिंता को दूर करता है। राजनीतिक रूप से दिल्ली की जीत को 'ब्रांड मोदी' के निर्णायक पुनरुत्थान के रूप में देखा जाएगा।' हाल में बीजेपी ने 27 साल के अंतराल के बाद दिल्ली में 70 में से 48 सीटें जीतकर बड़ी जीत दर्ज की। यह जीत 'डबल इंजन' सरकार के चुनावी वादे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार और आम आदमी पार्टी के खिलाफ दो कार्यकाल के सत्ता विरोधी लहर के कारण मानी जा रही है।दिल्ली में बीजेपी की जीत बेअसर क्यों?हालांकि, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार का मानना है कि दिल्ली चुनाव के नतीजे बाजार के नजरिए से सकारात्मक होने के बावजूद तेजी की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा है कि 108 से ऊपर डॉलर इंडेक्स और 4.4% से ऊपर 10 साल की अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के साथ FII किसी भी संभावित उछाल को सीमित करते हुए बेचना जारी रखेंगे।रुपये में गिरावट भी बाजार के लिए चिंता का विषय है। सोमवार को रुपया 49 पैसे गिरकर 87.92 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के और टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद एशियाई मुद्राओं में गिरावट के बाद रुपये में गिरावट आई। रुपये में भारी गिरावट ने दलाल स्ट्रीट पर धारणा को प्रभावित किया, जो FII बिकवाली में रुकावट का संकेत देता है।आरबीआई ने रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती की है। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का कहना है, 'अपेक्षित लाइन पर MPC ने आर्थिक मंदी को देखते हुए रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की। लेकिन, बढ़ी हुई वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए रुख को 'समायोजित' करने से परहेज किया।' किस संजीवनी की जरूरत?नुवामा ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'RBI व्यवस्थित रूप से लिक्विडिटी का प्रबंधन करेगा। कुल मिलाकर, आरबीआई ने ढील देना शुरू कर दिया है। लेकिन, वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सावधानी से आगे बढ़ने की संभावना है। अभी के लिए हम आने वाले वर्ष में 50-75 बीपीएस की और कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। हम निकट अवधि में आर्थिक विकास को धीमी गति से बढ़ते हुए देखते हैं। फेड/आरबीआई की ओर से अधिक आक्रामक ढील या निर्यात में सुधार से रिकवरी में तेजी आ सकती है।'जियोजित के वीके विजयकुमार मानते हैं कि भारत में वैल्यूएशन अभी भी ऊंचे स्तर पर हैं। खासकर व्यापक बाजार में। बाजार को जीडीपी विकास और आय में सुधार जैसे बुनियादी ट्रिगर्स की जरूरत है। तब तक बाजार केवल एक सीमा में ही चलने की संभावना है। निवेशकों को उचित मूल्य वाले हाई क्वालिटी लार्जकैप शेयरों से जुड़े रहना चाहिए।\सेंसेक्स और निफ्टी अपने सर्वकालिक ऊंचे स्तर से करीब 10-11 फीसदी गिरावट दर्ज कर चुके हैं। जबकि व्यापक बाजार सूचकांक BSE मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स अपने 52-सप्ताह के ऊंचे स्तर से 15 फीसदी तक गिर गए हैं। कुछ शेयर अपने रिकॉर्ड ऊंचे स्तर से 50 फीसदी तक नीचे आ गए हैं
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