भारतीय मसालों में पेस्टिसाइड की मौजूदगी को लेकर चल रहे विवाद के बीच एफ़एसएसएआई ने बीबीसी को बताया है कि देश में बेचे जाने वाले मसालों में एथिलीन ऑक्साइड नहीं होता है.
भारतीय मसालों में पेस्टिसाइड की मौजूदगी को लेकर चल रहे विवाद के बीच भारत के फूड रेगुलेटर ने बीबीसी को बताया है कि देश में बेचे जाने वाले मसालों में एथिलीन ऑक्साइड नहीं होता है.
शायद ये पहली बार है कि फूड रेगुलेटर ने दावा किया है कि इस विवाद के केंद्र में जो रासायनिक पदार्थ है, वो भारतीय बाज़ारों में बेचे जाने वाले मसालों में मौजूद नहीं है. नियमानुसार हरेक फूड आइटम को निर्यात की मंज़ूरी के लिए जब एफ़एसएसएआई के पास भेजा जाता है तो उसे तीन चरणों की जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
डॉक्टर रेड्डी का कहना है कि एफ़एसएसएआई ने ये कदम तब उठाए जब इस मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां मिलीं. भारतीय फूड प्रोडक्ट्स अतीत में भी खारिज हो चुके हैं. दोनों ने ही अपने फ़ैसले की वजह ये बताई कि इन मसालों की शिपमेंट में एथिलीन ऑक्साइड की मौजूदगी निर्धारित सीमा से अधिक पाई गई है. जब लोग लंबे समय तक इसके इस्तेमाल के प्रभाव में रहते हैं तो इससे कैंसर होने का ख़तरा रहता है. इसी वजह से दुनिया भर की कई नियामक एजेंसियों ने एथिलीन ऑक्साइड को कैंसरकारी तत्व के रूप में चिह्नित कर रखा है.
भारतीय मसालों का एक्सपोर्ट मार्केट महत्वपूर्ण है. भूगोल और मौसम की विविधता ने भारत को मसालों के उत्पादन में एक प्रमुख केंद्र बना दिया है. भारतीय मसालों की इस तरह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच-पड़ताल ने इसके कारोबार को ख़तरे में डाल दिया है. उन्होंने कहा, "हमारी फ़र्म कई दशकों से मसालों का व्यापार कर रही है. हमने शुरू भारत से की लेकिन अब हम दुनिया भर में व्यापार करते हैं. हम एथिलीन ऑक्साइड मसालों से बचते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे एथिलीन ऑक्साइड-मुक्त हैं, हम मसालों का प्रयोगशाला में परीक्षण करते हैं. इसके कारण इनकी कीमत बढ़ जाती है क्योंकि हम टेस्टिंग 'भाप उपचार' जैसे वैकल्पिक तरीकों का प्रयोग करते हैं. भारत में ये तरीका आम नहीं है लेकिन उत्पाद सुरक्षा और शेल्फ लाइफ़ बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं.
स्पाइस बोर्ड ने सलाह दी है कि कीटनाशकों के साथ छिड़काव के बजाय एफ़एसएसएआई को कोई अन्य तरीका अप्रूव करना चाहिए. खाद्य और कृषि संगठन एमआरएल को कीटनाशक अवशेषों के उच्चतम स्तर के रूप में परिभाषित करता है जिसे भोजन या फूड में कानूनी रूप से स्वीकार किया जाता है.लोकसभा चुनाव: आप क्या खाते हैं, इस बात का फ़ैसला आप करेंगे या कोई और?नियामक एजेंसी ने बीबीसी को बताया कि किसी विशेष मसाले पर कोई भी कीटनाशक तब तक लागू नहीं किया जाएगा जब तक कि उसका एमआरएल उचित जोखिम मूल्यांकन के आधार पर तय न हो जाए.
हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में स्पष्ट किया कि जोखिम मूल्यांकन के आधार पर विभिन्न खाद्य पदार्थों के लिए अधिकतम अवशेष सीमा अलग-अलग है.
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