भारत के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ और अखाड़ों का रहस्य

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भारत के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ और अखाड़ों का रहस्य
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यह लेख महाकुंभ के साथ जुड़े अखाड़ों के इतिहास और उनकी स्थापना की कहानी बताता है। इस लेख में अखाड़ों की शुरुआत, उनके उद्देश्य, संचालन, विवादों और राजनीति में प्रवेश जैसी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।

महाकुंभ बहुसंख्यक हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक और भारत का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है. हालांकि महाकुंभ की एक और पहचान भी है और वो पहचान है अखाड़े .  ये वो अखाड़ा नहीं, जहां कुश्ती या पहलवानी हो. ये वो अखाड़े हैं जहां शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा दी जाती है, जहां शाही सवारी, रथ, हाथी-घोड़े की सजावट, घंटा-बाजे और करतब का प्रदर्शन होता है.

हालांकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस अखाड़े को मान्यता नहीं दी है,  तब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि हुआ करते थे. उन्होंने कहा था कि कोई किन्नर अखाड़े की मान्यता नहीं है. 13 अखाड़े हैं और 13 ही रहेंगे. जवाब में किन्नर अखाड़े का गठन करने वाली लक्ष्मी त्रिपाठी ने कहा था कि उज्जैन शिव की नगरी है और शिव की नगरी में अखाड़े के लिए किसी से मान्यता लेने की जरूरत नहीं है.किन्नर अखाड़े की स्थापना 2016 के सिंहस्थ कुंभ से पहले अक्टूबर 2015 में हुई थी.

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