भारत कनाडा तनाव: अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ रिश्तों पर क्या होगा असर?

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कनाडा और भारत के बीच छिड़ी कूटनीतिक लड़ाई के परिणामों पर चर्चा छिड़ गई है. जानकारों का कहना है कि ये वक्त मेगाफ़ोन डिप्लोमेसी का नहीं है. जानिए इस मुद्दे पर विशेषज्ञों का आकलन

अमेरिका ने भी कनाडा के आरोपों को लेकर भारत को कार्रवाई करने को कहा है.कनाडा और भारत के आपसी रिश्ते 14 अक्तूबर को अब तक के अपने सबसे मुश्किल दौर में पहुँच गए.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 में भारत और कनाडा के बीच व्यापार में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग19 फ़ीसदी की बढ़त देखी गई.कनाडा के छह राजनयिकों को भारत ने किया निष्कासित, निज्जर हत्या मामले में चरम पर तनावभारत और कनाडा के ताज़ा बयान कूटनीति को क़रीबी से जानने वाले भारत के पूर्व राजदूत राजीव डोगरा का मानना है कि विदेश में भारत के ख़िलाफ़ बयान देने वाले लोगों पर कार्रवाई की बात करना ग़लत नहीं है.''विदेश में अपने कार्यकाल के दौरान मैंने देखा है कि भारत को दुश्मन मानने वाले देश खुलेआम अलगाववादी लोगों को हमारे ख़िलाफ़ भड़काते हैं.''

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने अगस्त के महीने में कनाडा में एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका कनाडा के साथ हर स्तर पर सहयोग कर रहा है ताकि निज्जर हत्याकांड मामले की तह तक पहुंचा जा सके. उन्होंने निज्जर की हत्या को एक त्रासदी बताया था. इससे पहले भारत ने निज्जर को आतंकवादी घोषित कर दिया है.डोगरा का मानना है कि अमेरिकी प्रशासन का एक वर्ग अभी भी भारत के साथ अच्छे संबंध नहीं चाहता और यही वर्ग विवाद की वजह है.

अनिल त्रिगुणायत भारत के राजदूत रह चुके हैं और अमेरिका में भी काम कर चुके हैं, उनका मानना है कि कनाडा के साथ रिश्ते चाहे जैसे भी हों, इसका भारत के अन्य पश्चिमी देशों के साथ संबंधों पर असर शायद ही पड़ेगा.

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