भारत के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि चुनने का राजनीतिक और रणनीतिक महत्व

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भारत के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि चुनने का राजनीतिक और रणनीतिक महत्व
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यह लेख भारत के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि को बुलाने की प्रक्रिया, इतिहास और उसके राजनीतिक महत्व पर प्रकाश डालता है।

भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि को आमंत्रित करने की प्रक्रिया लगभग छह महीने पहले शुरू हो जाती है। इस प्रक्रिया में विदेश मंत्रालय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी देश को निमंत्रण देने के लिए सबसे पहले भारत और उस देश के बीच संबंधों की स्थिति का आकलन किया जाता है। यह निर्णय देश के राजनीति क, आर्थिक, सैन्य और वाणिज्यिक हितों को ध्यान में रखकर लिया जाता है। विदेश मंत्रालय संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार करता है और फिर उसे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास मंजूरी के लिए भेजता है।

इसके बाद संबंधित मुख्य अतिथि की उपलब्धता की जाँच की जाती है। यदि वे उपलब्ध हैं तो भारत आमंत्रित देश के साथ आधिकारिक संचार करता है।\गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि को बुलाने की शुरुआत 26 जनवरी 1950 को भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह से हुई थी। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले गणतंत्र दिवस परेड के पहले मुख्य अतिथि थे। इतिहास के पन्नों से पता चलता है कि 1950-1970 के दशक में भारत ने गुटनिर्पेक्ष आंदोलन और पूर्वी ब्लॉक से जुड़े कई देशों को अतिथि बनाया। दो बार 1968 और 1974 में ऐसा हुआ जब भारत ने एक ही गणतंत्र दिवस पर दो देशों के मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया गया। 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निधन के कारण कोई निमंत्रण नहीं भेजा गया था। इंदिरा गांधी ने गणतंत्र दिवस से केवल दो दिन पहले यानी 24 जनवरी 1966 को शपथ ली थी। 2021 और 2022 में भी भारत में कोरोना महामारी के कारण कोई मुख्य अतिथि नहीं था।\भारत ने सबसे ज्यादा 36 एशियाई देशों को समारोह में अतिथि बनाया है। इसके बाद यूरोप के 24 देश और अफ्रीका के 12 देश गणतंत्र दिवस में हमारे मेहमान बने हैं। वहीं दक्षिण अमेरिका के पांच देश, उत्तरी अमेरिका के तीन और ओशिनिया क्षेत्र के एकलौते देश का भारत ने आतिथ्य किया है। गणतंत्र दिवस में अतिथि देश क्यों जरूरी होता है? गणतंत्र दिवस समारोह में कई आकर्षण के केंद्र होते हैं लेकिन कूटनीतिक दृष्टि से इसमें शामिल होने वाले प्रमुख अतिथि पर भी सबकी नजरें होती हैं। भारत के गणतांत्रिक देश बनने के साथ ही इस समारोह में मुख्य अतिथि को बुलाने की परंपरा रही है। भारत प्रति वर्ष नई दिल्ली में आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के लिए सम्माननीय राजकीय अतिथि के रूप में किसी अन्य देश के राष्ट्राध्यक्ष या सरकार के प्रमुख को निमंत्रण देता है। अतिथि देश का चयन रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक हितों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद ही किया जाता है। यूं कहें कि गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि का निमंत्रण भारत और आमंत्रित व्यक्ति के देश के बीच मैत्रीपूर्ण सबंधों की मिशाल माना जाता है

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