पूर्वोत्तर में जो जनजाति के लोग मिज़ोरम, मणिपुर और नागालैंड से लगी म्यांमार की सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ लगाने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं.
पूर्वोत्तर में 'जो' जनजाति के लोग मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड से लगी म्यांमार की सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ लगाने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं.उन्होंने इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया है.
इसी वजह से मिजोरम के कई इलाकों के साथ ही मणिपुर के टेंग्नोपाल जिले और नागालैंड के आदिवासी इलाकों में जो समेत कई जनजातियों के लोग केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.जो समुदाय के लोगों ने जब सीमा पर बने प्रवेशद्वार पर एक सभा की थी तो उसे देखने-सुनने के लिए म्यांमार से भी जो समुदाय के कई लोग मौके पर जुटे थे.
"फिलहाल उस फैसले से हटने या उसे बदलने की कोई वजह नहीं नजर आती. हम म्यांमार, भारत और बांग्लादेश में रहने वाले जो जनजाति के लोगों के एकीकरण की मांग करते रहे हैं. इस तबके के कुछ लोग त्रिपुरा में भी रहते हैं. इसमें हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है." मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने बीते साल 23 सितंबर को ही केंद्र सरकार से एफएमआर को खारिज कर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा करने का अनुरोध किया था.
वाईएमए के अध्यक्ष लालमाछुआना ने बीबीसी बांग्ला से बातचीत में कहा, "हमारे रिश्तेदार और परिजन और भारत के अलावा म्यांमार और बांग्लादेश के विभिन्न इलाकों में फैले हैं. यह तीनों देश जब आजाद हुए थे तब तो किसी ने हमसे हमारी राय नहीं पूछी थी."
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