भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता: नए आपराधिक क़ानूनों के लागू होने पर पुलिसकर्मियों ने क्या कहा

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भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता: नए आपराधिक क़ानूनों के लागू होने पर पुलिसकर्मियों ने क्या कहा
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बीबीसी हिंदी ने दिल्ली और नोएडा के चार पुलिस स्टेशनों का दौरा किया और नए क़ानूनों के लागू करने से जुड़ी चीज़ों पर 15 पुलिसकर्मियों से बातचीत की.

एक जुलाई से तीन आपराधिक क़ानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता पूरे भारत में लागू हो गए हैं.

जहां एक कॉन्स्टेबल का कहना था कि उन्हें सिर्फ़ एक दिन की ही ट्रेनिंग मिली है, वहीं एक सब-इंस्पेक्टर का कहना है कि उन्हें पांच दिन की ट्रेनिंग मिली है.की वेबसाइट पर जो कॉन्टेंट अपलोड किया गया है, उसमें जो ट्रेनिंग मॉड्यूल दिखाए गए हैं, उनमें बताया गया है कि ट्रेनिंग 2 से 5 दिन तक की हो सकती है, जो पुलिसकर्मियों की वरिष्ठता के आधार पर तय की गई है.नोएडा फेज-1 के स्टेशन हाउस ऑफिसर अमित कुमार भदाना ने बीबीसी से कहा, "हम चीज़ें पढ़ रहे है, समझ रहे हैं.

नाम ज़ाहिर नहीं करने की शर्त पर दिल्ली के कम से कम तीन पुलिस कर्मियों ने बीबीसी हिंदी को बताया कि उन्हें अभी तक ट्रेनिंग नहीं मिली है. भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता के तहत कई मामलों में पुलिकर्मियों को क्राइम सीन को रिकॉर्ड करना पड़ता है.

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