जिन 15 जगहों के लिए चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला वाले नामों की घोषणा की गई है। उसमें आठ आवासीय स्थान, चार पहाड़, दो नदियां और एक पहाड़ी दर्रा शामिल है।
जिन 15 जगहों के लिए चीनी अक्षरों, तिब्बती और रोमन वर्णमाला वाले नामों की घोषणा की गई है। उसमें आठ आवासीय स्थान, चार पहाड़, दो नदियां और एक पहाड़ी दर्रा है। इससे पहले 2017 में छह जगहों के नाम चीन द्वारा रखे गए थे।
चीन हमेशा से अरुणाचल प्रदेश पर दक्षिण तिब्बत के रूप में अपना दावा जताता है। हालांकि भारत सरकार कई बार चीन के इस दावे को खारिज कर चुकी है। भारत हमेशा से अरुणाचल को अविभाज्य हिस्सा मानता है। चीन अपने दावे को पुष्ट करने के लिए हमेशा से भारतीय राजनेताओं और अधिकारियों के अरुणाचल दौरे का विरोध करता रहता है। बता दें कि भारत और चीन के बीच करीब 3488 किमी लंबी सीमा है जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जाता है।ने जिन आठ आवासीय स्थानों के नाम रखे हैं। उनमें शन्नान क्षेत्र के कोना काउंटी में सेंगकेजोंग और...
इसके अलावा चार पहाड़ी इलाकों में वामोरी, डेउ री, लुंझुब री और कुनमिंगशिंगजे फेंग हैं। जिन दो नदियों के चीनी नाम रखे गए हैं वे शेन्योगमो और डुलैन हैं एवं कोना काउंटी के पहाड़ी दर्रे का नाम से ला दिया गया है। रिपोर्ट में बीजिंग स्थित चीन तिब्बत विज्ञान अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञ लियान शिंगमिल के हवाले से लिखा गया है कि यह घोषणा सैकड़ों सालों से अस्तित्व रखने वाले स्थानों के नाम के राष्ट्रीय सर्वे का हिस्सा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक वैध कदम है और उन्हें अपने हिसाब से नाम देना चीन की...
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